New Parliament: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक नया अध्याय 28 मई 2023 को लिखा जाएगा जब देश को संसद की नई शानदार बिल्डिंग मिलेगी। 10 दिसंबर 2020 को संसद भवन की नींव प्रधानमंत्री मोदी ने रखी थी और 28 मई 2023 को मोदी ही इसका इसका उद्घाटन करेंगे। करीब 1200 करोड़ की लागत से संसद का 4 मंजिला भवन बनाया गया है जिसमें आधुनिक दौर के हिसाब से सुविधाएं भी दी गई हैं और सिटिंग अरेंजमेंट भी बढ़ाया गया है। नए संसद भवन में लोकसभा के 888 सदस्य जबकि राज्यसभा के 384 सदस्यों के बैठने की जगह है। नया संसद भवन पुरानी संसद से 17000 वर्ग मीटर बड़ा है और नई संसद में कामकाज के लिए अलग कमरे हैं। बिल्डिंग पूरी तरह भूकंप रोधी है और महिला सदस्यों के लिए अलग लाउंज का इंतजाम किया गया है।
नए संसद भवन के उद्घाटन की तैयारी पूरी
अब नए संसद भवन के उद्धाटन से पहले आस-पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। विजय चौक और उसके आसपास भी जवानों की तैनाती कर दी गई है साथ ही किसी को भी फिलहाल यहां आनेजाने की इजाजत नहीं है। कड़ी सुरक्षा के बीच ही संसद भवन के उद्घाटन की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। हालांकि उद्घाटन से पहले सियासत भी खूब हो रही है।
नए संसद भवन पर क्यों बवाल?
28 मई को देश के इतिहास में नया स्वर्णिम अध्याय लिखा जाएगा क्योंकि इसी दिन स्वदेशी लोकतंत्र का मंदिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समर्पित करेंगे। ये मौका देश के लिए बेहद खास होगा लेकिन कई राजनीतिक पार्टियों के लिए देश से बढ़कर दल है और उद्घाटन समारोह सियासत में घिर गया है। उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाली राजनीतिक पार्टियों की संख्या अब तक 21 हो गई है जिसकी अगुवाई कांग्रेस कर रही है।
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विपक्षी दल कर रहे उद्घाटन का बहिष्कार
बता दें कि कांग्रेस के मीडिया सेल के महासचिव जयराम रमेश ने आदिवासी का मुद्दा उठाकर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड उच्च न्यायालय परिसर में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया। ये सिर्फ एक व्यक्ति का अहंकार है जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।
यानि जयराम रमेश अपनी की पार्टी के नेता और प्रियंका गांधी के करीबी प्रमोद कृष्णम से उलट बयान दे रहे हैं। एक तरफ 21 विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी के हाथों उद्घाटन का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी तरफ विपक्षी मोर्चे से ही पीएम मोदी को समर्थन भी मिला है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार का साथ दिया और ट्वीट कर सरकार का समर्थन करते हुए राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को भी खूब खरी-खोटी सुनाई है।
मायावती ने लिखा है कि सरकार ने नई संसद को बनाया है इसलिए उद्घाटन का सरकार को हक है और इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित है।
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