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Govardhan Puja 2022: बच्चों को जरूर दें गोवर्धन पूजा का यह ज्ञान, यहां मिलेगी रोचक जानकारी

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Govardhan Puja 2022: दिवाली पूरे 1 हफ्ते का त्यौहार होता है इस बीच दिवाली के 2 दिन बाद गोवर्धन पूजा Govardhan Puja मनाया जाता है इस बार यह सूर्य ग्रहण के कारण 26 अक्टूबर को मनाई जा रही है इस दिन महिलाएं गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बना बनाते हैं साथ ही आसपास के स्थान पर बाल बाल की छवि भी दर्शाती है यह पर्व ब्रज में स्थित गोवर्धन पर्वत के पूजन पर आधारित है यह तो आप जानते ही होंगे कि गोवर्धन पूजा Govardhan Puja 2022 से जुड़ी कहानी बहुत रोचक है जिसकी कथा आप अपने बच्चों को सीख के रूप में भी सुना सकते हैं ऐसा त्यौहार है कि बच्चे के साथ-साथ पढ़े और बूढ़े भी उत्साह के साथ मनाते हैं बच्चे मन के सच्चे होते हैं उन्हें इन सब चीजों की अधिक जानकारी नहीं होती यह पर महिलाएं मनाती है लेकिन आप अपने बच्चों को गोवर्धन पूजा की कथा सुना कर उन्हें भगवान कृष्ण जैसा अपार ज्ञान दे सकती हैं।

गोवर्धन पूजा की परंपरा

गोवर्धन पूजा बृज में स्थित गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी है। इसलिए हर साल गोवर्धन पूजा की जाती है। एक बार की बात है, बृज में भारी बारिश के कारण ग्रामीण परेशान थे। तब भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। पहाड़ के नीचे सभी बृजवासी, पशु-पक्षी अपनी जान बचाने के लिए शरण में आए थे। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई।

गोवर्धन पर्वत की कहानी

भगवान कृष्ण की लीलाएं कौन नहीं जानता और गोवर्धन पर्वत की कहानी कुछ इस प्रकार थी कि बृजवासी वर्षा कराने के लिए देवराज इंद्र की पूजा करते थे जिसके बाद माता यशोदा इंद्र देव की पूजा के लिए प्रसाद बना रही थी जिसके बाद कान्हा ने माता से प्रसाद मांगा तो माता यशोदा ने पूजा के बाद प्रसाद खाने को कहा इस पर कृष्ण जी ने कहा कि हमारे पशु पक्षियों के लिए भोजन गोवर्धन पर्वत पर मिल जाता है यह खड़ा पर्वत बृज वासियों की हर मौसम में रक्षा भी करता है तो पूजा इंद्रदेव की ही क्यों होती है गोवर्धन पर्वत की होनी चाहिए कान्हा के इस वचन पर इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रज में बहुत तेज वर्षा कर दी जिसके बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रज वासियों की रक्षा की और कान्हा ने अपनी उंगली से पर्वत उठा लिया।

लीला की रचना

इस कहानी के माध्यम से हम बच्चों को बता सकते हैं कि भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव के अभिमान को दूर करने के लिए ही लीला की रचना की थी। बारिश का पानी भले ही इंसानों के लिए जरूरी है, लेकिन खुद के बल पर शेखी बघारने और दूसरों को कम समझने से ही भगवान उनके घमंड को तोड़ते हैं। इसलिए कभी भी किसी को कमजोर या छोटा नहीं समझना चाहिए। अपने कार्यों पर कभी गर्व न करें। गोवर्धन पर्वत की तरह ही दूसरों की मदद करनी चाहिए।

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