Travelling Tips: इन सर्दियों में आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ऐसे में बर्फीली जगह जरूर जाएं खासकर बात तब बनेगी जब आप अपने पूरे परिवार के साथ बद्रीनाथ यात्रा पर जाएंगे इन जगहों की खूबसूरती आप का मन मोह लेगी और आप हर सर्दी यहां जाने को आतुर होंगे साथ ही परिवार भी खुश हो जाएगा यह तो आप जानते ही हैं कि चार धामों की यात्रा में से एक यात्रा बद्रीनाथ है जहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है अगर आप भी इन सर्दियों में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो बद्रीनाथ Badrinath जाना ना भूले और दर्शन के बाद इन जगहों को एक्सप्लोर Travelling Tips जरूर करें क्योंकि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और खूबसूरत रंग इतने प्यारे हैं कि आपका दिल खुश हो जाएगा।
बद्रीनाथ मंदिर
भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर की स्थापना शंकराचार्य ने की थी। बद्रीनाथ घूमने का सबसे अच्छा समय मई से जुलाई की शुरुआत तक है। देहरादून से यहां के लिए हेलीकॉप्टर भी बुक किया जा सकता है। यहां प्रकृति के लुभावने दृश्य और भगवान के दर्शन दोनों ही देखने को मिलते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं है। मंदिर में सुबह 4:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर शाम को 4:30 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं।
चरण पादुका
चरण पादुका बदरीनाथ से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां की विशेष मान्यता यह है कि भगवान विष्णु के चट्टानों पर पैरों के निशान बने हुए हैं वही वहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक चरण पादुका जाने और वहां भगवान विष्णु के पैरों के निशान के दर्शन करने से रोग दुख दरिद्र सभी प्रकार की समस्याओं से निजात मिलता है आप यहां नेचर के बीच अच्छा एडवेंचर भी कर सकते हैं यहां पर सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 5:30 बजे तक घुमा जा सकता है।
नीलकंठ चोटी
अपने साथी को रोमांचक यात्रा पर ले जाने के लिए आप यहां से शुरुआत कर सकते हैं। नीलकंठ चोटी उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल की प्रमुख चोटी के रूप में जानी जाती है। यहां ट्रैक सीधा खड़ा है, जो अचानक बदल जाता है। इसलिए यहां बहुत सावधानी से चलना होगा। जुलाई से सितंबर के बीच यहां जाना सबसे अच्छा रहता है। यहां आप रास्ते की सुंदरता को बढ़ाते हुए ब्रह्मकमल के फूल भी देख सकते हैं।
वसुधारा फॉल
बद्रीनाथ से करीब 9 किमी दूर माणा गांव में वसुधरा फॉल यानी झरना मौजूद है। 12,000 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी एक शब्द की तरह लगता है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पांडवों ने विश्राम किया था। यहां ट्रैक के रास्ते में बहुत सावधान रहना पड़ता है।
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