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मौनी अमावस्या पर गंगा में आस्था की डुबकी, पितरों को जल अर्पित कर प्राप्त करें सिद्ध वाणी का फल

Mauni Amavasya

Mauni Amavasya : कानपुर में मौनी अमावस्या के दिन हजारों श्रद्धालु गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। माघ माह में पड़ने वाली इस अमावस्या का खास महत्व है, जब लोग गंगा में स्नान कर पितरों को जल अर्पित करते हैं, ताकि वे प्रसन्न हो सकें और परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखें।

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कानपुर के प्रमुख घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारियां की थीं। जल पुलिस, गोताखोर और नगर निगम के कर्मचारी व्यवस्थाओं को संभालते हुए नजर आए, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

मौन डुबकी और मौन व्रत का महत्व

पंडित कृष्ण कुमार दीक्षित के अनुसार, मौनी अमावस्या पर गंगा में मौन डुबकी लगाकर पूरे दिन मौन व्रत धारण करने से जातकों को सिद्ध वाणी का फल प्राप्त होता है। उनका कहना है कि इस दिन गंगा स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना और पितरों को जल अर्पित करना अत्यधिक लाभकारी होता है। पितरों को जल अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने आशीर्वाद से परिवार को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

वाणी सिद्ध होने का वरदान

पंडित दीक्षित ने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर मौन व्रत धारण करने वाले लोगों को वाणी सिद्ध होने का वरदान प्राप्त होता है। उनका मानना है कि इस विशेष दिन का ध्यान और पूजा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।

प्रशासन तत्पर

प्रशासन ने इस खास दिन पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयारियां की थी। घाटों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था और जल पुलिस की टीम गंगा में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की मदद के लिए अलर्ट थी।

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मौनी अमावस्या का दिन श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और वाणी के सिद्धि का दिन बनकर आया है, जहां लाखों लोग गंगा में स्नान कर अपने पितरों को जल अर्पित कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।

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