Mahakumbh Stampede : प्रयागराज के महाकुंभ मेले में मंगलवार देर रात हुई भगदड़ की एक बड़ी वजह 144 वर्षों के बाद आया अद्भुत संयोग बताया जा रहा है। सरकार और साधु-संतों ने इस महत्त्वपूर्ण मुहूर्त की चर्चा की थी, जिसके कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए संगम तट पर उमड़ पड़े।
अचानक कैसे मची अफरा-तफरी
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान का विशेष महत्व होने के कारण श्रद्धालु संगम तट पर डेरा जमाकर बैठे और लेटे हुए थे, ताकि शुभ मुहूर्त में स्नान कर सकें। लेकिन जैसे ही अखाड़ों के संतों के स्नान का समय आया, भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और घाट की ओर बेकाबू ढंग से बढ़ने लगी। पिलर नंबर 157 के पास बैरिकेडिंग टूटने से स्थिति बेकाबू हो गई। धक्का-मुक्की के बीच चेंजिंग रूम गिर गया और कई महिलाएं भीड़ के नीचे दब गईं। वहां मौजूद लोग इतनी तेजी से आगे बढ़े कि जमीन पर गिरी महिलाओं को रौंदते हुए निकल गए।
असम से आई मधुमिता ने बताया कि संगम घाट पर लोग रातभर बैठे और लेटे हुए थे। तभी अवरोधक तोड़ते हुए बेकाबू भीड़ घाट की ओर दौड़ पड़ी, जिससे कई लोग कुचल गए। झारखंड के पलामू से आए राम सुमिरन ने कहा, “144 साल बाद यह पुण्य स्नान का अवसर आया है, जिसे छोड़ने के लिए कोई तैयार नहीं था। इसी वजह से इतनी भारी भीड़ संगम तट पर उमड़ पड़ी।”
क्या गंगा माई की थी मंजूरी ?
बेगूसराय की बुजुर्ग श्रद्धालु बदामा देवी ने कहा, “बेटा, ई जनम में तो ऐसा मौका नाहीं मिली। गंगा माई में स्नान के लिए इतनी दूर आए थे। हमें क्या पता था कि यहां इतनी बड़ी अनहोनी हो जाएगी। लगत है गंगा माई की यही मंजूरी रहन।”
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प्रशासन की अपील
जिला प्रशासन को पहले से ही हादसे की आशंका थी। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने लाउडस्पीकर से लगातार श्रद्धालुओं से अपील की, “यहां लेटे रहने से कोई फायदा नहीं है। जो सोवत है, वो खोवत है। उठिए और स्नान करके सुरक्षित लौट जाइए। भीड़ बढ़ने से भगदड़ की आशंका है।”
लोगों की आस्था पर नहीं पड़ा कोई असर
भगदड़ की खबर के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कमी नहीं आई। बुधवार दोपहर तक 4.24 करोड़ श्रद्धालु गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके थे। मेला प्रशासन के अनुसार, अब तक कुल 19.94 करोड़ लोग संगम स्नान कर चुके हैं।