- विज्ञापन -
Home Uncategorized कान के पीछे, जबड़े के इर्द-गिर्द के साथ गर्दन और कंधे तक...

कान के पीछे, जबड़े के इर्द-गिर्द के साथ गर्दन और कंधे तक होने वाला दर्द हो सकता ईगल सिंड्रोम

Eagle Syndrome

Eagle Syndrome : कान में अक्सर दर्द रहना और इलाज कराने के बाद भी दिक्कत कम न होना साधारण बीमारी नहीं है। कान और जबड़े के बीच पनप रही इस तरह की बीमारी ईगल सिंड्रोम हो सकती है। कानपुर मेडिकल कॉलेज, उर्सला, केपीएम की रिपोर्ट में इस मर्ज के पीड़ितों की बड़ी संख्या में होने का खुलासा हुआ है। अकेले मेडिकल कॉलेज में ही सालभर में 30-60 आयु वर्ग के ईगल सिंड्रोम के लगभग 750 रोगी आए। बीमारी की चपेट में आने वाले अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के हैं। पुरुषों की तुलना में महिला मरीज 60 फीसदी हैं।

स्टाइलॉयड प्रोसेस हड्डी के बढ़ने से होती समस्या

- विज्ञापन -

कान के पीछे, जबड़े के इर्द-गिर्द के साथ कभी-कभी गर्दन और कंधे तक होने वाली पीड़ा को मामूली तकलीफ समझना बड़ा खतरा बन सकती है। यह सिर्फ कान दर्द नहीं है, बल्कि बगल से निकली करीब ढाई सेमी लंबी स्टाइलॉयड प्रोसेस हड्डी के बढ़ने का नतीजा है। यह हड्डी बढ़कर जबड़े के नीचे से गुजरी ग्लोसोफेरींजल नाम की नस पर दबाव बना रही है। यही दबाव भीषण दर्द की वजह भी है।

सही इलाज न होने से दिव्यांगता का भी खतरा

डॉक्टरों का मानना है कि ईगल सिंड्रोम का इलाज समय पर बेहद जरूरी है। स्टाइलॉयड प्रोसेस हड्डी बढ़ने पर सर्जरी ही एकमात्र निदान है। हड्डी के बढ़े हिस्से को सर्जरी के दौरान काट दिया जाता है। इसके बाद यह अपने पुराने आकार व स्वरूप में आ जाती है।

यह भी पढ़ें : गौतम बुद्ध बालक इंटर कॉलेज में प्रवेश परीक्षा का आयोजन, 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक

महीनेभर में 90 से 100 की संख्या में आ रहे मरीज

मेडिकल कॉलेज की डॉ.अमृता श्रीवास्तव का कहना है कि महीनों सिर्फ कान दर्द समझना और रोग की सही जानकारी न होना खतरनाक है। ईगल सिंड्रोम के मरीज महीनेभर में 90 से 100 की संख्या में आ रहे हैं। अधिकांश मरीज गांव के हैं। इसमें दवा खाने के बाद भी राहत नहीं मिलती। इलाज में देरी दिव्यांगता के खतरे को बढ़ा सकती है।

- विज्ञापन -
Exit mobile version