UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में अगले दो वर्षों तक किसी भी नए शहरी निकाय का गठन या पुराने निकायों का विस्तार नहीं हो सकेगा। इसकी मुख्य वजह पंचायत चुनावों की तैयारी और आगामी जनगणना प्रक्रिया है। वर्तमान में पंचायत चुनावों के लिए ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन किया जा रहा है, जिससे नए निकायों के गठन की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। इसके अलावा, 31 दिसंबर 2025 के बाद जनगणना 2026 का कार्य शुरू हो जाएगा, जिस दौरान प्रशासनिक इकाइयों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। जनगणना के चलते यह रोक 1 मार्च 2027 तक लागू रहेगी। ऐसे में नए शहरी निकायों के गठन की संभावना अब 2027 के मई-जून के बाद ही बनेगी।
UP पंचायत चुनावों की वजह से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का पुनर्संगठन आवश्यक हो गया है। पिछले पंचायत चुनाव 2021 में हुए थे, जिनके बाद प्रदेश में कई शहरी निकायों का विस्तार हुआ। इस विस्तार के चलते कई गांव शहरी क्षेत्र में शामिल हो गए हैं। अब इन क्षेत्रों को ग्राम पंचायतों से बाहर करने और बचे हुए गांवों का नया परिसीमन जरूरी हो गया है। यही कारण है कि नए निकायों के गठन की प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
वहीं, केंद्र सरकार ने जनगणना 2026 के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार, 31 दिसंबर 2025 के बाद कोई भी नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाई जा सकेगी। यह रोक 1 मार्च 2027 तक लागू रहेगी। इसके तुरंत बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का दौर शुरू हो जाएगा, जिससे प्रशासनिक व्यस्तता और बढ़ जाएगी। इन सभी कारणों से नए नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायतों का गठन अब 2027 की दूसरी छमाही में ही संभव होगा।
गौरतलब है कि पिछली बार जब जनगणना की तैयारी हो रही थी, उस समय दिसंबर 2019 में UP सरकार ने 99 नई अधिसूचनाएं जारी की थीं। उस दौरान कई बड़े नगर निगमों की सीमाएं बढ़ाई गई थीं। प्रयागराज नगर निगम में 202 गांव और लखनऊ नगर निगम में 88 गांव जोड़े गए थे। हालांकि, कोविड महामारी के कारण जनगणना की प्रक्रिया रुक गई थी, जो अब 1 अप्रैल 2026 से फिर शुरू होगी।
जनगणना से पहले 1 जनवरी से प्रशासनिक मैपिंग शुरू की जाएगी। इसमें वर्ष 2009 से 2025 के बीच हुए सभी प्रशासनिक और भौगोलिक बदलावों को चिन्हित किया जाएगा। इसके साथ ही सेंसस टाउन और विशेष सुरक्षा क्षेत्रों को भी अलग से दर्ज किया जाएगा।