69000 teacher recruitment: लखनऊ में मंगलवार को 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का गुस्सा एक बार फिर भड़क उठा। आरक्षित वर्ग से जुड़े सैकड़ों उम्मीदवार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर पहुंच गए और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। उम्मीदवारों का आरोप है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं कर रही और अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक खिंच गया है। नाराज उम्मीदवार “केशव चाचा न्याय करो” जैसे नारे लगाते हुए वहीं धरने पर बैठ गए। स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए मौके पर पुलिस बल की तैनाती की गई है।
- विज्ञापन -लखनऊ: UP 69000 शिक्षक अभ्यर्थियों का प्रदर्शन
डिप्टी CM केशव के आवास जा रहे थे अभ्यर्थी
पुलिस ने अभ्यर्थियों को आवास से पहले रोका
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से किया प्रदर्शन
कल मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव किया था
सुप्रीम कोर्ट में सरकार पक्ष नहीं रख रही- अभ्यर्थी… pic.twitter.com/esZWGWWwWC— Roshan Kumar Journalist (@cameraman_r) August 19, 2025
धरने का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि यह 69000 भर्ती प्रक्रिया साल 2018 में शुरू हुई थी। लेकिन परिणाम जारी होने के बाद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्तियों से वंचित कर दिया गया। इस अन्याय के खिलाफ वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार को नियमों के अनुसार नियुक्ति देने का आदेश दिया। इसके बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया और फैसले को लागू करने में हीलाहवाली करती रही।
पटेल ने यह भी याद दिलाया कि 2 सितंबर को भी 69000 अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया था। तब केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें शीघ्र समाधान का भरोसा दिलाया था और अभ्यर्थियों से बातचीत भी की थी। लेकिन उनके आश्वासन को अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार के पास पर्याप्त समय था कि वह हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर न्याय दिलाती, मगर जानबूझकर देरी की गई। उनका मानना है कि अगर सरकार ईमानदारी से आदेश मानती तो यह मसला सुप्रीम कोर्ट तक नहीं जाता। अब वे सरकार से स्पष्ट कार्रवाई और न्याय की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का आंदोलन देर रात तक जारी रहा।