Allahabad HC News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या पर्व पर हुई भगदड़ में मारे गए एक श्रद्धालु के मुआवजे के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने मेला अधिकारी महाकुंभ मेला को इस संबंध में कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है और साथ ही लिए गए निर्णय की प्रति 13 नवंबर को अगली सुनवाई पर पेश करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश की निवासी रामकली बाई की याचिका पर दिया। रामकली बाई के पति, मोहनलाल अहिरवार, की मृत्यु महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ में हो गई थी। याचिका में उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट प्रयागराज को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की थी।
याची के अधिवक्ता, अरुण यादव, ने कोर्ट को बताया कि न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही रामकली बाई को उनके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र और शव का पंचायतनामा मिल पाया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अभी तक कोई मुआवजा राशि नहीं मिली है।
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राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को सूचित किया कि याची को 22 सितंबर को नोटिस जारी कर 13 अक्टूबर को मेला अधिकारी महाकुंभ मेला, प्रयागराज के समक्ष अपने दावे के समर्थन में सभी सामग्री के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया था, क्योंकि उनका आवेदन मेला अधिकारी के पास विचाराधीन है।
हालांकि, Allahabad कोर्ट ने पाया कि नोटिस की तामील (delivery) संतोषजनक नहीं हुई थी, और याची के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें सुनवाई से ठीक एक दिन पहले तक नोटिस की कोई जानकारी नहीं थी। इस पर, कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल से सुनवाई के दौरान ही नोटिस की कॉपी याची के अधिवक्ता को दिलाई।
इसके साथ ही, Allahabad हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि रामकली बाई अपने पति की महाकुंभ 2025 के मौनी अमावस्या पर्व के दौरान हुई मृत्यु से संबंधित सभी आवश्यक सामग्री के साथ 30 अक्टूबर को मेला अधिकारी के समक्ष उपस्थित हों।
Allahabad कोर्ट ने मेला अधिकारी को यह भी निर्देश दिया है कि याची की उपस्थिति और सभी सामग्री प्राप्त होने पर, वे कानून के अनुसार उनके लंबित आवेदन का निपटारा करते हुए सकारण और तर्कपूर्ण आदेश पारित करें। इस मामले में अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी, जिस दिन मेला अधिकारी को अपने आदेश की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। हाईकोर्ट ने इस मामले में त्वरित और न्यायसंगत कार्रवाई सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।