Azam Khan statement: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक रहे आज़म ख़ान एक बार फिर चर्चा में हैं। सीतापुर जेल से जमानत पर छूटने और दिल्ली में इलाज कराने के बाद लौटे आज़म ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की प्रस्तावित यात्रा पर व्यंग्य कसा। उन्होंने कहा कि अखबारों के जरिये उन्हें पता चला है कि अखिलेश 8 अक्टूबर को उनसे मिलने आने वाले हैं। इस पर उन्होंने तंज भरे लहज़े में कहा, “बड़े लोगों का छोटी गली में रहने वाला यह खादिम खैर मकदम करता है।” उनके इस बयान ने सपा की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
अखिलेश को लेकर कसा व्यंग्य
जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचे Azam Khan ने कहा कि उनका घर बेहद साधारण इलाके में है, जहां कई बार पानी भर जाता है। उन्होंने कहा, “हम तो छोटी सी गली में रहते हैं। बड़े लोग आएंगे तो अच्छा लगेगा।” सियासी हलकों में इसे अखिलेश के साथ उनके रिश्तों में खटास का संकेत माना जा रहा है। चुनावी माहौल में यह बयान सपा के अंदरूनी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
धीमा ज़हर दिए जाने की चर्चा को किया खारिज
पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने दावा किया था कि जेल में बंद रहने के दौरान Azam Khan ने उन्हें मुख़्तार अंसारी की तरह धीमा ज़हर दिए जाने की आशंका जताई थी। लेकिन आज़म ने इसे निराधार बताया। उन्होंने कहा कि टीवी पर जब मुख़्तार अंसारी की मौत और ज़हर की खबरें आईं तो वे सतर्क हो गए थे। उन्होंने बताया कि जेल में वे मुश्किल हालात से गुज़रे, दोपहर में एक पतली रोटी और शाम को आधी रोटी खाकर ही दिन काटते थे।
सपा में नए समीकरण
Azam Khan का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सपा चुनावी तैयारियों में जुटी है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आज़म के व्यंग्य से सपा की एकजुटता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। अखिलेश यादव की रामपुर यात्रा जहां पार्टी को मजबूती का संदेश देने की कोशिश है, वहीं आज़म का चुटीला अंदाज़ सपा के भीतर पुरानी पीढ़ी और नई नेतृत्व शैली के बीच की दूरी को उजागर करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम वोटबैंक को साधने के लिए अखिलेश और आज़म के रिश्तों का संतुलित होना बेहद अहम है। यदि यह दरार गहरी हुई तो विपक्ष इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगा।