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Health Update: चिकित्सा में आई क्रांति.. बिना चीरफाड़ के बंद नसें होंगी ठीक, प्रदेश की पहली Hightech कैथलैब तैयार

kanpur News:  कानपुर में इलाज की नई क्रांति शुरू होने जा रही है! उत्तर प्रदेश को पहली ऐसी अत्याधुनिक कैथलैब मिलने वाली है जहां बिना चीरफाड़ के बंद नसों का इलाज संभव होगा। यह Hightech कैथलैब मरीजों को ओपन हार्ट सर्जरी का विकल्प देगी जिसमें ब्लड लॉस, इंफेक्शन और जटिलताओं का खतरा बेहद कम होगा। तीन नई कैथलैब के निर्माण से मरीजों को न केवल बेहतर इलाज मिलेगा बल्कि लंबा इंतजार भी खत्म होगा।

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इन तीनों लैब की स्थापना करने में 37 करोड़ रुपए की लागत आएगी। शासन ने इसके लिए प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। यूपी राज्य कल्याण निगम को इनके निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है।

प्रतिदिन 60 पेशेंट को मिल पाएगा ट्रीटमेंट

कार्डियोलॉजी में अभी दो कैथलैब चल रही हैं। इसमें से एक जर्जर स्थिति में है। जिसमें एक वैकल्पिक व्यवस्था कर किसी तरह चलाया जा रहा है। दूसरी भी काफी पुरानी हो चुकी है। फिलहाल यहां रोजाना करीब 60 पेशेंट का ट्रीटमेंट हो पाता है। जबकि लगभग 100 पेशेंट को डेली कैथलैब में ट्रीटमेंट की आवश्यकता रहती है। लिहाजा angioplasty, angiography, Stents और pacemakers के लिए आने वाले पेशेंट को इंतजार करना पड़ता है।

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यूपी की पहली एसी लैब होने का दावा

नई कैथलैब के बन जाने पर एक दिन में 120 पेशेंट का ट्रीटमेंट संभव हो सकेगा। संस्थान के डायरेक्टर डॉ राकेश वर्मा का दावा है कि सर्जरी कैथलैब (वैस्कुलर कैथलैब) को स्थापित किया जाना है। वह यूपी की अपनी तरह की पहली कैथलैब होगी। इसमें बिना चीरफाड़ के बंद नसों को खोला जा सकेगा। ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में ब्लड लॉस, इंफेक्शन और अन्य जटिलताओं का खतरा बहुत कम होगा।

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कैथलैब में यह होगा खास…!

– कैथलैब में सिर्फ सर्जरी नहीं होती है। अन्य तरह के ट्रीटमेंट भी होते हैं। ज्यादातर इलाज मिनिमली इनवेसिव तकनीकी से होते हैं। इसमें ज्यादा चीरफाड़ की जरूरत नहीं पड़ती है।
– एक पतली ट्यूब (कैथेटर) का यूज करके रक्त वाहिकाओं के माध्यम से हार्ट तक पहुंचाया जाता है। फिर जरूरी ट्रीटमेंट किया जाता है।
– कैथलैब मेडिसिन में हार्ट की धमनियों का एक्सरे एंजियोग्राफी एंजियोप्लास्टी, स्टेंट लगाना, पेसमेकर लगाना, वाल्व रिप्लेसमेंट और बायपास सर्जरी होती है।
– हाईब्रिड कैथलैब या वैस्कुलर कैथलैब में नसों में रुकावट को दूर किया जाता है। अगर नस डैमेज हो जाए तो अलग से नस लगाई जाती है। ये लैब पहली बार बन रही है। इसमें शरीर की किसी भी नस को ठीक किया जा सकेगा।

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