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Home Uttar Pradesh Mathura होमगार्ड ने डीएम-एसएसपी को भी नहीं दी छूट, ईमानदारी का मिला इनाम

होमगार्ड ने डीएम-एसएसपी को भी नहीं दी छूट, ईमानदारी का मिला इनाम

Mathura

Mathura Home Guard: मथुरा के गोवर्धन में ड्यूटी के प्रति निष्ठा का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया। मुड़िया पूर्णिमा मेले के दौरान जब जिले के सबसे बड़े अफसर डीएम और एसएसपी खुद परिक्रमा मार्ग का निरीक्षण करने पहुंचे, तब एक होमगार्ड ने अपने कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए उनका रास्ता रोक दिया। इस साहसिक कदम ने उसे जिले का हीरो बना दिया।

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मेला क्षेत्र में अधिकारियों को पहले ही सख्त निर्देश दिए गए थे कि सप्तकोसी परिक्रमा मार्ग में किसी भी प्रकार के तिपहिया या चौपहिया वाहनों का प्रवेश बिल्कुल वर्जित रहेगा। इसी आदेश का पालन करते हुए होमगार्ड महेन्द्र सिंह परिहार अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।

शनिवार को डीएम चन्द्र प्रकाश सिंह और Mathura एसएसपी श्लोक कुमार ई-रिक्शा से मेले का निरीक्षण करने निकले। जैसे ही उनका काफिला बागड़ी प्याऊ के तिराहे पर पहुंचा, होमगार्ड महेन्द्र सिंह ने उन्हें रोक दिया। जब उन्हें बताया गया कि ई-रिक्शा में डीएम-एसएसपी सवार हैं, तब भी होमगार्ड ने बड़ी सादगी से जवाब दिया- “मेरे डीएम साहब का स्पष्ट आदेश है, बिना अनुमति कोई वाहन प्रवेश नहीं कर सकता। पहले आदेश लाओ, फिर अंदर जाओ।”

महेन्द्र सिंह का यह जवाब सुनकर Mathura डीएम-एसएसपी खुद मुस्कुरा उठे। उन्होंने होमगार्ड की कर्तव्यनिष्ठा की तारीफ की और बिना किसी दबाव के रास्ता बदल लिया। इसके बाद काफिला दूसरे मार्ग से नियंत्रण कक्ष की ओर बढ़ गया।

घटना के बाद महेन्द्र सिंह पूरे दिन डरा-सहमा रहा, उसे लगा कि शायद उसने कोई बड़ी गलती कर दी है और अब उस पर कार्रवाई हो सकती है। लेकिन जब उसने खबरों में देखा कि एसएसपी श्लोक कुमार ने खुले मंच से उसकी तारीफ करते हुए उसे सम्मानित करने की घोषणा कर दी है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

यह घटना Mathura जिले में अनुशासन और कर्तव्यपरायणता की मिसाल बन गई है। महेन्द्र सिंह का छोटा-सा कदम अब पूरे पुलिस विभाग के लिए प्रेरणा बन गया है। उसने दिखा दिया कि ड्यूटी और नियम सबसे बड़े होते हैं, चाहे सामने कितने भी बड़े अधिकारी क्यों न हों।

महेन्द्र सिंह की निष्ठा और ईमानदारी ने यह सिखाया कि अगर ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभाई जाए तो हर स्तर पर उसका सम्मान होता है। यह घटना प्रशासन के हर कर्मचारी को अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी और साहस के साथ खड़े रहने का मजबूत संदेश देती है।

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