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खुशी के लड्डू बँटे, कमिश्नर पर गिरी गाज! Meerut में बुलडोजर रोकते ही ट्रांसफर; ‘गोविल की डील’ ने बचाई 31 दुकानें!

Meerut

Meerut Central Market Bulldozer: मेरठ के सेंट्रल मार्केट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अवैध निर्माणों पर चली बुलडोजर कार्रवाई ने एक हाई-वोल्टेज सियासी ड्रामा खड़ा कर दिया है। 22 दुकानों के ध्वस्तीकरण के बाद, 31 अन्य भवनों के दुकानदारों को नोटिस मिलते ही व्यापारिक समुदाय सड़कों पर उतर आया। दो दिनों के अनिश्चितकालीन धरने और बंद बाजार के बीच, भाजपा के फायरब्रांड नेता और सांसद अरुण गोविल (Ramayan’s Ram) ने एंट्री मारी, और बस! सीन पलट गया।

गोविल ने खुद धरनास्थल पर पहुँचकर दुकान का शटर उठाया और व्यापारियों को आश्वस्त किया कि अब कोई बुलडोजर नहीं चलेगा। उनके इस ‘अभयदान’ के बाद, बाज़ार ‘जय श्री राम’ के नारों और मिठाइयों के साथ तत्काल खुल गया। यह राहत सिर्फ चुनावी गणित के लिए नहीं थी, बल्कि गोविल ने कैंट विधायक अमित अग्रवाल और मेयर हरिकांत अहलूवालिया के साथ मिलकर एक सुलह योजना पेश की: प्रभावित 22 व्यापारियों को नगर निगम के मिनी मॉल में दुकानें मिलेंगी, बाकी 31 निर्माणों पर कार्रवाई स्थगित रहेगी, और ध्वस्त जगह पर अस्थायी तौर पर ‘स्ट्रीट बाजार’ लगाने की अनुमति होगी। गोविल ने खुलासा किया कि इस पूरे ‘ऑपरेशन राहत’ की स्क्रिप्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लखनऊ में हुई मुलाकात के बाद लिखी गई थी।

कमिश्नर पर गिरी ‘सुप्रीम’ गाज: बलि का बकरा या नियमों का पालन?

लेकिन इस ‘हैप्पी एंडिंग’ में एक बड़ा ट्विस्ट बाकी था। जिस अधिकारी ने व्यापारियों को सबसे बड़ी राहत दी थी, उन मेरठ कमिश्नर हृषिकेश भास्कर यशोद पर देर शाम गाज गिर गई! बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने और मार्केट को अस्थायी ‘स्ट्रीट बाजार’ घोषित करने का फैसला लेने वाले कमिश्नर का महज दस महीने में ही अचानक तबादला कर दिया गया।

प्रशासनिक गलियारों में फुसफुसाहट है कि कमिश्नर का यह फैसला ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सीधी अवहेलना’ था, जिसे शासन ने ‘अदालती अवज्ञा’ की श्रेणी में देखा। जानकार इसे कमिश्नर को भारी पड़ी एक ‘कीमत’ बता रहे हैं, जिसका नतीजा तत्काल ट्रांसफर के रूप में सामने आया। सांसद गोविल और विधायक अग्रवाल के आश्वासन पर जैसे ही लड्डू बँटने शुरू हुए, तभी लखनऊ से कमिश्नर के तबादले का आदेश आ गया—टाइमिंग ऐसी थी कि इसे सियासी मैसेजिंग के तौर पर देखा जा रहा है।

Meerut भाजपा सूत्रों की मानें तो यह ‘टेंशन कम करने’ की एक सोची-समझी चाल थी: Meerut सांसद ने व्यापारियों को खुश किया, मुख्यमंत्री के निर्देश पर हल निकाला गया, और कमिश्नर का तबादला दिखाकर कोर्ट की अवमानना के संभावित विवाद से भी बचा गया। अब नए कमिश्नर को सख्त हिदायत है कि वह कोर्ट के आदेशों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित करें।

इस घटनाक्रम ने v में एक बड़ी हलचल पैदा कर दी है। एक ओर व्यापारी कमिश्नर के समर्थन में खड़े हैं, तो दूसरी ओर अधिकारी वर्ग इसे कानूनी दायरे से बाहर का निर्णय बता रहा है। फिलहाल, सेंट्रल मार्केट खुल चुका है, लेकिन बुलडोजर पर लगी यह अस्थाई रोक और कमिश्नर का ‘बलिदान’ मेरठ की प्रशासनिक और सियासी गर्मी को बढ़ा गया है।

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