Shahjahanpur history: बरेली के आंवला में वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा अनावरण के मौके पर भाजपा नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि “शाहजहांपुर” नाम गुलामी का प्रतीक है और भारतीय गौरव के अनुरूप नहीं है। उमा ने साफ शब्दों में कहा कि यह नाम सुनते ही विदेशी हुकूमत की याद ताजा होती है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि जिले को नया और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा नाम दिया जाए। उनके अनुसार अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश को अपनी संस्कृति और परंपराओं की पहचान के अनुसार नाम दिए जाएं, ताकि लोग गर्व महसूस करें और न कि गुलामी।
“नाम सुनकर गौरव नहीं, गुलामी याद आती है”
कार्यक्रम में बोलते हुए उमा भारती ने कहा कि जब वह आंवला की ओर आ रही थीं तो रास्ते में “शाहजहांपुर” का नाम पढ़कर उन्हें अजीब लगा। उन्होंने कहा, “यह नाम हमारी विरासत का नहीं बल्कि गुलामी के युग की निशानी है। मैं चाहती हूं कि योगी जी जल्द से जल्द इस जिले का नया नाम तय करें।”
उन्होंने मंच से कहा कि अब वह इस नाम को दोबारा सुनना नहीं चाहतीं।
भाजपा और पिछड़ा समाज का योगदान
अपने संबोधन में उमा भारती ने कहा कि भाजपा की राजनीति पिछड़े और दलित वर्गों के सहयोग के बिना अधूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोधी समाज ने भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया और इसके बाद अन्य पिछड़े वर्ग भी पार्टी के साथ जुड़े। महिला आरक्षण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इसमें पिछड़ी और दलित महिलाओं के लिए स्पष्ट आरक्षण तय होना चाहिए, ताकि उन्हें वास्तविक बराबरी का लाभ मिल सके।
राममंदिर और कल्याण सिंह का जिक्र
राममंदिर मुद्दे पर उमा ने कहा कि अयोध्या में मंदिर के प्रमाण भूमि के नीचे दबे थे, इसलिए विवादित ढांचा हटाना आवश्यक था। उन्होंने बाबूजी कल्याण सिंह के योगदान को याद करते हुए कहा कि अगर उनका साहस और निर्णय न होता, तो राममंदिर का निर्माण कभी संभव न होता।
महिला पीएसी बटालियन और नई पहल
केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि गुलामी के प्रतीकों को खत्म करने का समय आ गया है। उन्होंने योगी सरकार का धन्यवाद किया कि उन्होंने तीन महिला पीएसी बटालियन बनाई हैं। इनमें वीरांगना अवंतीबाई, झलकारी बाई और उदय देवी के नाम शामिल हैं। इनमें से एक बटालियन का मुख्यालय बदायूं में स्थापित होगा।
जनसभा के रोचक दृश्य
- आंवला के पूर्व सांसद धर्मेंद्र कश्यप मंच पर चढ़ते समय फिसल गए और उनका पैजामा फट गया।
- कार्यकर्ता बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों से आए और कुछ समर्थक बुलडोजर पर बैठकर भी सभा में पहुंचे।
Shahjahanpur के नए नाम: लोककथाओं से मिले संकेत
इतिहासकारों और स्थानीय परंपराओं में Shahjahanpur से जुड़े कई अन्य नाम मिलते हैं, जो नए नाम के तौर पर प्रस्तावित हो सकते हैं:
- पवित्रपुर – संतों और साधुओं की तपस्थली होने के कारण।
- गौरवपुर – वीरों और योद्धाओं की परंपरा से प्रेरित।
- कथनगढ़ – स्थानीय नदियों और कथाओं के इतिहास से जुड़ा।
- हरगंगा – गंगा की धारा और क्षेत्र की पौराणिकता का प्रतीक।
- लोधीगढ़ – लोधी समाज की ऐतिहासिक भूमिका को सम्मान देने के लिए।
अब सबकी नजरें योगी सरकार पर हैं कि क्या यह मांग केवल एक राजनीतिक संदेश तक सीमित रहती है या वास्तव में शाहजहांपुर का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है।