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उत्तर प्रदेश: ऊर्जा मंत्री AK Sharma ने जताया जान को खतरे का अंदेशा, कहा- मेरे नाम की सुपारी निकाली गई है

AK Sharma

AK Sharma Supari: उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री AK Sharma ने एक चौंकाने वाला बयान देकर राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया है कि बिजली विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने उनकी छवि खराब करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए साजिश रचते हुए उनके नाम की “सुपारी” तक दे दी है। यह आरोप ऐसे समय में सामने आया है जब शर्मा लगातार ऊर्जा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं और अधिकारियों की कार्यशैली पर तीखी आलोचना कर चुके हैं।

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पिछले कुछ दिनों में शर्मा ने ग्रामीण इलाकों में हो रही बिजली कटौती और अधिकारियों द्वारा फर्जी रिपोर्टिंग के मुद्दे को लेकर कई बार चेतावनी दी। एक समीक्षा बैठक में उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ अधिकारी सरकार को बदनाम करने के इरादे से काम कर रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने विजिलेंस अधिकारियों पर आम जनता को धमकाकर अवैध वसूली करने और दिखावटी छापेमारी का आरोप भी लगाया।

एक वायरल ऑडियो का उल्लेख करते हुए शर्मा ने बस्ती जिले के अधीक्षण अभियंता प्रशांत सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया। इस ऑडियो में अधिकारी के अमर्यादित व्यवहार की पुष्टि होने पर उन्होंने सार्वजनिक मंच और ट्विटर दोनों पर अपनी नाराजगी जाहिर की। शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे किसी भी हाल में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे।

सबसे गंभीर बात तब सामने आई जब शर्मा ने दावा किया कि उन्हें जान से मारने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा, “मेरे खिलाफ एक सुनियोजित साजिश चल रही है, जिसमें मेरे नाम की सुपारी दी गई है। इसका मकसद मेरी छवि को नुकसान पहुंचाना और मुझे डराकर चुप कराना है। लेकिन मैं न डरने वाला हूं, न झुकने वाला।”

हालांकि AK Sharma ने यह खुलासा नहीं किया कि ये सुपारी किसने दी या उनके पास इसकी जानकारी कहां से आई। इसके बावजूद, इस बयान से सियासी भूचाल आ गया है। विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए इसे सत्ता के भीतर गहराते मतभेदों का परिणाम बताया। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यूपी में अब मंत्री और अधिकारी एक-दूसरे पर ही अविश्वास करने लगे हैं।

भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए शर्मा को ईमानदार और निडर योद्धा बताया। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार इस बयान की गंभीरता को समझते हुए जांच करवाएगी या मामला राजनीतिक बयानबाजी तक ही सिमट जाएगा।

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