UP religious dispute: उत्तर प्रदेश में धार्मिक और राजनीतिक विवाद अब एक नई हिंसक दिशा लेने लगा है। कानपुर से शुरू हुआ ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान, जिसे मुस्लिम समुदाय का प्रेम अभियान कहा जा रहा था, पूरे प्रदेश में भड़काऊ मुद्दा बन गया। सरकार ने इसे अवैध करार दिया, लेकिन इसका असर रुकने का नाम नहीं ले रहा। इसके जवाब में वाराणसी और अयोध्या के साधु-संतों ने ‘आई लव महादेव’, ‘आई लव सनातन’ और ‘जय श्रीराम’ के पोस्टर लहराए, जिससे विवाद और बढ़ गया।
अयोध्या में राम मंदिर से शुरू हुई यह मुहिम अब काशी से कानपुर तक फैल चुकी है। साधु-संतों ने साफ कहा कि भारत हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति की भूमि है। उन्होंने चेतावनी दी कि जिन लोगों को मोहम्मद से प्रेम है, उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं, वे इस्लामिक देशों में जाएं। संत सूरज तिवारी ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है और इसे किसी भी कट्टरपंथी विचारधारा से कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
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इसी बीच बरेली में जुमे की नमाज के बाद हालात पूरी तरह बिगड़ गए। मौलाना तौकीर रजा खान के नेतृत्व में हुई रैली ने पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर दी। भीड़ ने बैरिकेड तोड़े, पथराव किया और कई इलाकों में तोड़फोड़ मची। UP पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, कई लोग घायल हुए और मौलाना को हिरासत में लिया गया। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में रखने की कोशिश की, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह केवल धार्मिक नारेबाजी नहीं, बल्कि पूरे UP की राजनीति और कानून-व्यवस्था पर बड़ा असर डालने वाला मुद्दा बन चुका है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और पोस्टरों ने दोनों समुदायों के बीच प्रतिद्वंद्विता और गुस्से को और बढ़ा दिया है। इस विवाद ने स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक भावनाओं और राजनीतिक संदेशों का यह संगम उत्तर प्रदेश में बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक टकराव का कारण बन सकता है।
UP अब विवादों की आग में झुलस रहा है, और सवाल उठता है—क्या ये पोस्टर अभियान सिर्फ आस्था का मामला है या देश की एकता और कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाला खेल?