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Bareilly में ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर विवाद: इमरान मसूद ने योगी सरकार पर साधा निशाना, चुनावी सियासत में भड़की आग

Bareilly

Bareilly violence: बरेली में 1 अक्टूबर को ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर अभियान ने शहर में हिंसा और तनाव को जन्म दिया। कुछ युवकों द्वारा पोस्टर लगाने की कोशिश के बाद पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं। पुलिस ने कड़े कदम उठाते हुए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी। दो बाहरी लोगों को गिरफ्तार किया गया। स्थानीय निवासी और आला हजरत परिवार ने Bareilly पुलिस की कार्रवाई को मुसलमानों के खिलाफ चयनात्मक करार देते हुए इसकी निंदा की।

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कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस विवाद पर तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि पोस्टर केवल मुहब्बत का संदेश देता है, अपराध नहीं। मसूद ने सवाल उठाया कि ऐसा पोस्टर दिखाने पर गोलियां क्यों चल रही हैं, जबकि कांवड़ियों को कभी ऐसा व्यवहार नहीं सहना पड़ता। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। टीवी डिबेट में भी मसूद ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिंदू तीर्थयात्रियों पर कभी इस तरह की सख्ती नहीं होती।

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इस विवाद ने राजनीतिक घमासान को भी हवा दी। भाजपा ने मसूद के बयान को ‘धर्म के नाम पर नफरत भड़काने वाला’ बताया। उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव को तोड़ने का काम करती रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर अल्पसंख्यकों को दबाने और लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया। एसपी नेताओं ने बताया कि उनके प्रतिनिधिमंडल को बरेली जाने से रोका गया।

मसूद और कांग्रेस नेता कुंवर दानिश अली को घर में नजरबंद किया गया। मसूद ने कहा कि वह स्वेच्छा से घर पर हैं, लेकिन पुलिस की फोर्स तैनात है और वे स्थिति का आकलन करना चाहते थे। दानिश अली ने ट्वीट किया कि उन्हें बरेली जाने से रोककर सच्चाई छिपाई जा रही है। आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर समर्थन जताया।

योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने का दावा किया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि किसी भी उकसावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। प्रशासन ने इंटरनेट बहाली की समयसीमा तय की, लेकिन तनाव अभी बरकरार है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह Bareilly विवाद 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश हो सकता है। मसूद का बयान पुलिस कार्रवाई और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर ला खड़ा करता है। बरेली का यह विवाद अब राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से पूरे प्रदेश में हलचल मचा रहा है।

 

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