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Lok Sabha Election 2024: आत्माओं को भी वोटिंग का इंतजार? BLO ने बिना सत्यापन मृतकों की भी घर-घर पहुंचाईं पर्चियां

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Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर संसदीय सीट में चौथे चरण के तहत 13 मई को मतदान होना है। मतदाता प्रतिशत बढाने के लिए चुनाव आयोग से लेकर जिला प्रशासन कई प्रकार के अभियान चला रहा है। इसी अभियान के तहत बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता पर्चियां (Voter Slips) बांटने में जुटे हैं, लेकिन मतदाता पर्ची लेते ही कई जगह वोटर चौक जाते हैं।

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दरअसल, ऐसे मतदाताओं के नाम पर्चियां भी घर पहुंच रही हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। ऐसी स्थिति में लोग झल्लाकर बीएलओ से कहते हैं कि मतदाता सूची के सत्यापन के समय आए होते तो यह नौबत नहीं आती। क्या घर बैठे मतदाता सूची सत्यापित कर दी। जिसकी मतदाता पर्ची दे रहो हो, उसकी कई साल पहले ही मौत हो चुकी है और जो जिंदा हैं, उनका नाम सूची में नहीं है।

मतदाता पर्चियां बांटने पर हुआ खुलासा (Lok Sabha Election 2024)

इस तरह का कोई एक मामला नहीं है। कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र के नवाबगंज में ही करीब एक दर्जन मामले हैं। इधर, करीब चार दिन से बीएलओ ने जब मतदाता पर्चियां बांटनी शुरू की तो सभी मामले सामने आए। इस बारे में परिजनों का कहना है कि नवंबर और दिसंबर माह में क्षेत्र में डीपीएस नगर निगम इंटर कालेज और आरवीआरडी में बीएलओ के कैंप लगे थे। उस समय मृतकों के नाम हटाने और नए मतदाताओं के नाम जोड़ने के लिए फार्म भरा था, मगर उसका नतीजा शून्य रहा।

मृतकों की मतदान पर्ची दी जा रही है और नए वोटरों का नाम ही सूची में नहीं है। लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची का सत्यापन बीएलओ घर-घर जाकर करते हैं, लेकिन कोई बीएलओ घर नहीं आया। परिजनों का आरोप है कि अब तक कई बार मृतकों के नाम हटाने के लिए प्रार्थना पत्र दे चुके हैं, लेकिन विधानसभा, ग्राम पंचायत चुनाव बीत गया। अब लोकसभा चुनाव की बारी है, मगर नाम नहीं हटाए गए हैं। बीएलओ फिर मृतकों की मतचान पर्ची थमा रहे हैं।

केस-1

नवाबगंज मार्केट निवासी सूर्य कुमार गुप्ता सराफा कारोबारी हैं। उनकी पत्नी बीना गुप्ता का वर्ष 2017 में निधन हो गया था। उन्होंने चुनाव आने पर कई बार पत्नी का नाम मतदाता सूची से हटाने की मांग की, लेकिन सात साल बाद भी बीना गुप्ता का मतदान सूची में नाम दर्ज है। दो दिन पहले ही बीना को मतदान के लिए पर्ची उनके घर पहुंचाई गई है।

केस-2

ब्रह्मपुरी गली निवासी स्वर्गीय देवकी नंदन शुक्ला के बेटे अरविंद की करीब डेढ़ साल पहले मौत हो चुकी है। दो दिन पहले जब बीएलओ अरविंद की मतदाता पर्ची लेकर पहुंचे तो मोहल्ले के लोगों ने नाराजगी जताई। कहा कि नए लड़कों का सूची में नाम नहीं है और जो जिंदा नहीं हैं उनकी मतदाता पर्ची देने आए हो, वो वोट डालने आएंगे क्या।

केस-3

नवाबगंज निवासी स्व. राम स्वरूप गुप्ता की पत्नी मुन्नी देवी की 2018 में निधन हुआ था। छह साल बाद लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए बीएलओ उनकी पर्ची लेकर घर पहुंचा। परिजनों ने पर्ची लेकर फाड़ दी और कहा कि कितनी बार और कहां-कहां जाकर प्रार्थना पत्र कि वह अब दुनिया में नहीं हैं। मतदाता सूची से नाम हटा दो।

घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन का काम बीएलओ का है। अगर मतदाता सूची से मृतकों का नाम नहीं हटाया गया है तो यह बीएलओ की गलती है। इससे यह पता चलता है कि घर-घर जाकर सूची का सत्यापन नहीं कराया गया है। इस बारे में पता कराया जाएगा।

– संजीव कुमार राय, एईआरओ

ऐसे हटवाएं मृतकों का मतदाता सूची से नाम

चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता सूची से नाम रद्द कराने के चार कारण होते हैं। पहला वोटर किसी दूसरे देश में रह रहा हो। दूसरे देश की नागरिकता हो या एक से ज्यादा वोटर कार्ड हो। मतदाता की मृत्यु हो गई हो। इसके लिए चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://voters.eci.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्रारूप सात का फार्म आएगा, जिसमें वोटर रजिस्ट्रेशन रद्द करने का कारण चुनना होगा। इसके बाद फॉर्म जमा करना होगा। वहीं ऑफलाइन प्रक्रिया में क्षेत्रीय बीएलओ मतदाता सूची से नाम हटवाता है।

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