Chanakya Niti: चाणक्य नीति में तीन सुखों का वर्णन किया गया है जिसके बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है अगर यह तीन चीजें जिस व्यक्ति के पास होती हैं मानव धरती पर ही स्वर्ग के समान उसका जीवन है तो चलिए जानते हैं आचार्य चाणक्य ने ऐसे कौन से जीवन के तीन मूल्य बताएं हैं।
सभी व्यक्ति अपने जीवन में सुख पाने की इच्छा रखते हैं और मानसिक और शारीरिक दोनों ही सुख मनुष्य भोगना चाहता है वहीं अगर भागदौड़ भरे जीवन में और मोह माया के चक्कर में मनुष्य इन चीजों को प्राप्त करने से पीछे रह जाता है आचार्य चाणक्य ने अपने नीति Chanakya Niti शास्त्र में तीन मूल्यों की बात कही है जो जीवन का आधार है जिन लोगों के पास यह तीन चीजें हैं उनका जीवन धरती पर ही स्वर्ग के समान है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हीरा मोती पन्ना स्वर्ण यह केवल एक पत्थर के टुकड़े हैं और इसे लोग मानते भी हैं और पाने की चाहत भी रखते हैं और इन्हीं के चक्कर में असली सुख खो बैठते हैं जबकि जीवन का पहला सुख और जल है जिसके बाद भी मनुष्य दो वक्त की रोटी और जलपान ठीक से नहीं कर पाता जिसे यह सुख प्राप्त होता है उससे बड़ा दुनिया में कोई सुखी नहीं है क्योंकि पेट को पालने के लिए ही इंसान धन कमाता है और नसीब इतना खराब होता है कि दो वक्त का खाना भी नसीब ना हो।
पहला सुख
चाणक्य नीति में जिन तीन सुखों का वर्णन किया गया है उनमें से पहला सुख है वाणी में मधुरता यदि आपकी वाणी में मधुरता है तो आप दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकते हैं वही वाणी को लेकर एक कहावत भी कही गई है एक चुप सौ सुख इसका मतलब है कि बोलने से अच्छा है कि चुप रहना जो मनुष्य जरूरत के अनुसार बोलते हैं उस इंसान की हर जगह प्रशंसा होती है वही कड़वे वचन बोलने वालों से हर कोई दूर रहना चाहता है।
दूसरा सुख
चाणक्य के अनुसार जिसकी वाणी में मधुरता होती है, वह शत्रु को भी अपना प्रशंसक बना लेता है। वाणी के विषय में एक कहावत है- एक शान्त सौ सुख। यानी गलत बोलने से अच्छा है चुप रहना। मनमाना बोलने वालों की हर तरफ तारीफ होती है। वहीं कटु वचन बोलने वालों से सभी दूरी बनाकर रखते हैं। यह एक ऐसा रत्न है जो न केवल मनुष्य की छवि में चार चांद लगाता है, बल्कि उसके मान-सम्मान को भी कई गुना बढ़ा देता है।
तीसरा सुख
चाणक्य कहते हैं कि मन की शांति सबसे बड़ी दौलत है, क्योंकि जब तक व्यक्ति का मन पूरी तरह से शांत नहीं होगा, तब तक वह अपने जीवन में कभी भी खुश नहीं रह सकता है। मनुष्य धन के लालच में इस सुख से कोसों दूर रहता है। जिससे कई शारीरिक रोग और रिश्तों में खटास आने लगती है। मन शांत और संतुष्ट है तो कदम-कदम पर सफलता मिलेगी, नहीं तो सब कुछ गँवा जाएगा।
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