Christmas 2023: हिंदू ईसाई मुस्लिम सभी धर्मों का अलग अलग महत्व होता है वही सब के अलग-अलग त्यौहार भी होते हैं वही 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार भी आ रहा है कहा जाता है कि ईसाई धर्म में कुछ ऐसी भविष्यवाणियां थी जो कि यीशु मसीह पर पूरी हुई थी लेकिन यह भविष्यवाणी लोगों की सोच के अनुसार पूरी नहीं हुई लोगों का विचार था कि मसीहा सामर्थ्य और शक्ति के साथ आएंगे और वे एक शक्तिशाली राजा होंगे और राज्य करेंगे लेकिन भविष्यवाणी के अनुसार बिल्कुल उल्टा हुआ यीशु मसीह मानवीय रूप में आए और मनुष्य के साथ जीवन व्यतीत किए देश सामर्थ्य और शक्ति नहीं बल्कि आत्मा की शक्ति के साथ आए थे आपको बता दें कि ईसा मसीह ने कभी भी इंसान में भेदभाव नहीं किया।
मसीहा के लिए सब एक समान
उनके लिए स्त्री-पुरूष सभी समान थे, वे सभी को परम पिता परमेश्वर की संतान मानते थे। स्त्रियों के प्रति ईसा का दृष्टिकोण अपने समय से कहीं आगे का था, क्योंकि जिस समय ईसा मसीह का जन्म हुआ उस समय स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी। जीसस ने अनेक बंधनों को तोड़ा और स्त्रियों को सम्मान दिया, अपनी शिक्षा दी। यीशु ने सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई।
उन्होंने जनता से गरीबों और असहायों की मदद करने, प्यार से जीने, लालच न करने, ईश्वर और राज्य के प्रति कर्तव्यपरायण होने, जरूरतमंदों की जरूरतों को पूरा करने, आवश्यकता से अधिक धन एकत्र न करने का आह्वान किया। यीशु ने हमेशा अभिवादन के रूप में कहा – ‘तुम्हें शांति मिले।’ शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा और युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है। पहाड़ी उपदेश के दौरान जीसस ने कहा था- ‘धन्य हैं वे, जो शांति स्थापित करने वाले हैं, क्योंकि वे ईश्वर के पुत्र कहलाएंगे।’ क्रिसमस की भावना हमारे दिलों में प्यार और करुणा फैलाए।
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