New Year 2023: साल का अंत होते ही अभी कुछ दिनों में पूरे देश में क्रिसमस का सेलिब्रेशन मनाया गया वहीं अब नया साल New Year आ रहा है ऐसे में लोग अपने दिन की शुरुआत नए-नए तरीके से करते हैं नए साल पर किस तरह की पार्टी करनी है क्या पहनना है क्या खाना है कहां घूमने जाना है क्या गिफ्ट खरीदना है इस तरीके की प्लानिंग लोग 5 दिन पहले से ही कर लेते हैं। वही आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आप अपने नए साल को किस तरह से बेहतरीन बना सकते हैं और अपनों के साथ किस तरह क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं। 1 जनवरी को नए साल का स्वागत करते हैं लेकिन क्या कभी सोचा है कि 1 जनवरी को ही साल का पहला क्यों माना जाता है. आइए जानते हैं एक जनवरी से नए साल की शुरुआत कैसे हुई, क्या है नए साल का इतिहास.
एक जनवरी को क्यों मनाते है नया साल
1582 से पहले मार्च से वसंत ऋतु में नववर्ष की शुरुआत होती थी, तब रोमन कैलेंडर में 10 महीने होते थे। रोम के राजा नुमा पोम्पिलस ने रोमन कैलेंडर को बदल दिया। आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व के बाद, राजा नुमा पोम्पिलस ने जनवरी और फरवरी के महीनों को जोड़ा। 1582 ईस्वी में ग्रेगोरियन कैलेंडर के आने के बाद 1 जनवरी को नया साल मनाने की प्रथा शुरू हुई।
सूर्य चक्र पर बना है कैलेंडर
रोमन शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर बदल दिया। इसके बाद खुद सीजर ने 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की घोषणा की। पृथ्वी 365 दिन, 6 घंटे तक सूर्य की परिक्रमा करती है। ऐसे में जब जनवरी और फरवरी के महीनों को जोड़ा गया तो यह सूर्य की गणना से मेल नहीं खाता जिसके बाद खगोलविदों ने इसका गहन अध्ययन किया। कोई भी कैलेंडर सूर्य चक्र या चंद्र चक्र की गणना के आधार पर बनाया जाता है। चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं. वहीं, सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन होते हैं. ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है. इस कैलेंडर को अधिकतर देशों में इस्तेमाल किया जाता है.
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