CM Yogi Adityanath: नव वर्ष 2025 के पहले दिन, बुधवार को उत्तर प्रदेश राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने सभी विभागों को सड़क सुरक्षा से संबंधित आवश्यक निर्देश दिए। CM ने कहा कि जनपदीय सड़क सुरक्षा समिति जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 5 जनवरी तक हर हाल में बैठक संपन्न कर लें। सीएम योगी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में हर साल हो रही 23-25 हजार मौतें देश और राज्य की क्षति है। यह दुर्घटनाएं जागरूकता के अभाव से होती हैं। सड़क सुरक्षा माह सिर्फ लखनऊ तक सीमित न रहे, बल्कि इसे पूरे प्रदेश के सभी 75 जनपदों में सुचारू रूप से संपन्न कराया जाए।
यह भी पढ़ें पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर जश्न का माहौल, हुआ पदोन्नती और सम्मान का आयोजन
योगी सरकार का सड़क सुरक्षा को लेकर नया अभियान
6 से 10 जनवरी तक सभी स्कूलों-कॉलेजों में सड़क सुरक्षा नियमों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि महाकुम्भ में बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए पीआरडी और होमगार्डों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके अतिरिक्त भी हर महीने जनपदों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा की बैठक हो जिसमें पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, आरटीओ, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित रहें। जनपद स्तर पर हुए कार्यों की प्रोग्रेस को लेकर हर तीसरे महीने शासन स्तर पर मूल्यांकन किया जाए।
यूपी में ट्रैफिक नियमों का होगा सख्त पालन
1- सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उन जनपदों और जगह को देखा जाए जहां पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। इसके लिए कारणों का पता करते हुए इसके समाधान की कार्ययोजना बनाई जाए। नाबालिग ई-रिक्शा व अन्य वाहनों को ना चला पाये, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई सुचारू रूप से की जाए।
2- सड़कों पर साइनेज जरूर लगाए जाएं, जिससे लोगों को आने जाने में असानी हो सके। सीएम योगी ने कहा कि ओवरलोडिंग कतई बर्दाश्त नहीं है। इसे स्टॉर्टिंग पॉइंट पर ही रोका जाए। एक्सप्रेस व हाइवे पर लोडेड वाहन भी खड़े रहते हैं, जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। इन वाहनों को क्रेन के माध्यम से हटवाया जाए।
3- हेलमेट, सीट बेल्ट तथा सड़क सुरक्षा के अन्य मानकों को अपनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाकर प्रेरित किया जाए। किसी वाहन का बार-बार चालान होने पर लाइसेंस/परमिट रद्द किया जाना चाहिए। इस कार्रवाई को अनिवार्य रूप से फास्टैग से जोड़ा जाए। सूचना, परिवहन और सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों की तरफ से अपील करने वाली होर्डिंग लगाई जाए। इसे सभी 75 जनपदों, 350 तहसीलों, 1500 थानों व सभी नगर निकायों के बाहर भी लगाया जाए।
4-राहगीरों/आमजन को जागरूक किया जाए कि दुर्घटना को देखकर भागें नहीं, बल्कि घायलों को जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचाएं। एंबुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम करें।
5- रोड सेफ्टी पार्क बनाए जाएं। Road Safety Awareness कार्यक्रमों से स्कूली बच्चों को जोड़ते हुए यातायात नियम से जुड़े विषयों पर नाटक, संगीत, कविता, निबंध, भाषण, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं कराई जाएं।
6-परिवहन निगम के बसों के ड्राइवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए। बसों की फिटनेस का भी ध्यान रखा जाए। सड़कों पर कहीं भी अवैध स्टैंड न लगे, उनके लिए स्पेस बनाया जाए।
7-ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बाइकों में से मोडिफाई साइलेंसर व हॉर्न को प्रतिबंधित किया जाए। अवैध रूप से बसों का संचालन दुर्घटना का कारण बनता है। गैर अनुबंधित बसों का पंजीकरण कर उन्हें निर्धारित रूट प्रदान किया जाए। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी, साथ ही लोगो को भी सुविधा मिलेगी।