- विज्ञापन -
Home UP News Mainpuri के उस परिवार की डरावनी दास्तान: जहां हर साल कोई ना...

Mainpuri के उस परिवार की डरावनी दास्तान: जहां हर साल कोई ना कोई मौत को गले लगा रहा है

Mainpuri

Mainpuri News: कभी-कभी हकीकत, फिल्मों से भी ज्यादा डरावनी होती है। Mainpuri के सकत बेवर गांव में एक ऐसा परिवार है, जिस पर मानो मौत ने अपना स्थायी डेरा जमा लिया है। हर साल इस परिवार में एक मौत तय मानी जा रही है। कोई खुद फांसी पर झूल जाता है, तो कोई मायूसी में खुद को आग के हवाले कर देता है। अब इस भयानक सिलसिले की ताजा कड़ी बना 18 वर्षीय जितेंद्र, जिसने फांसी लगाकर दुनिया को अलविदा कह दिया।

- विज्ञापन -

गांव वालों की नजरों में इस परिवार पर कोई बुरी आत्मा सवार है। पांच सालों में आठ मौतें, और सभी मौतें रहस्यमयी परिस्थितियों में। वजहें हमेशा अलग, मगर अंजाम एक— मौत। रामवरन और उनके पिता हीरालाल अब शायद अपने आंसुओं से भी थक चुके हैं। इतनी अर्थियां उन्होंने अपने कंधे पर उठाई हैं कि अब सिर्फ डर, खौफ और गहरी चुप्पी उनके हिस्से में बची है।

कहानी बीस साल पहले शुरू हुई थी, जब परिवार के एक सदस्य की ससुराल में फांसी से मौत हुई। लोग बोले हत्या है, पुलिस ने फाइल में आत्महत्या लिख दी। तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये महज शुरुआत है। इसके बाद जैसे मौत ने इस परिवार से दोस्ती कर ली।

हीरालाल के भाई सूरजपाल ने 25 साल पहले जहर खा लिया। फिर हीरालाल के बेटे पिंटू ने 2008 में फांसी लगा ली। 2012 में संजू ने जहर खाया, मनीष ने खुद को आग लगा ली। कुछ दिन पहले 27 वर्षीय बलवंत ने भी फांसी का रास्ता चुन लिया।

इस साल फरवरी में हीरालाल के भतीजे शेर सिंह ने भी खुदकुशी कर ली। उसके 15 दिन बाद ही सौम्या, जो प्रेम प्रसंग में उलझी थी, उसने भी फांसी लगा ली। अब 5 जुलाई को सौम्या के भाई जितेंद्र भी मौत के आगोश में समा गया।

Mainpuri थाना प्रभारी अनिल कुमार के अनुसार, इन घटनाओं में कोई ठोस कारण अब तक सामने नहीं आया और परिवार ने भी कोई लिखित शिकायत नहीं दी है। मगर गांव वाले डर से कांपते हैं। उनकी जुबान पर सिर्फ एक बात— “इस घर पर मौत का साया है।”

मनोवैज्ञानिक आराधना गुप्ता का कहना है कि परिवार को काउंसलिंग की सख्त जरूरत है। कभी-कभी ऐसा मनोवैज्ञानिक दबाव होता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ा देता है।

लेकिन गांव वाले किसी साइकोलॉजी में नहीं मानते। उनके लिए ये कहानी नहीं, हकीकत है। एक खौफनाक हकीकत, जिसकी अगली कड़ी कौन बनेगा, इसका इंतजार अब पूरे गांव को है।

- विज्ञापन -
Exit mobile version