Akhilesh Dimple Masjid dispute: दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव और पार्टी के कुछ सांसदों की मौजूदगी ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। इस बैठक की तस्वीरें सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। खासकर डिंपल यादव के सिर पर दुपट्टा न होने को लेकर मुस्लिम समाज के कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई। इस विवाद पर बीजेपी ने भी सपा को घेरने की कोशिश की और तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया।
इस Akhilesh Dimple पूरे घटनाक्रम पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। लखनऊ में सपा कार्यालय के पास एक पोस्टर लगाया गया है, जो तेजी से वायरल हो रहा है। इस पोस्टर में लिखा गया—”अखिलेश हैं वो, जो नफरत का सौदा नहीं करते। मंदिर-मस्जिद को सियासत से जोड़ा नहीं करते।” इसे लगाने वाले सपा नेता मोहम्मद इखलाक ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, “तुम्हारे लिए इबादत भी सियासी मैदान है, हमारे लिए मजहब मोहब्बत की पहचान है।”
पोस्टर में अखिलेश यादव की कई तस्वीरें शामिल की गई हैं, जिनमें वे विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ नजर आ रहे हैं। एक तस्वीर में वे हिंदू साधुओं के साथ बैठे हैं, दूसरी में सिख धर्मगुरुओं के साथ खड़े हैं और एक फोटो में मस्जिद में बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि अखिलेश यादव धर्मों के बीच भेदभाव नहीं करते और सभी समुदायों से मेल-जोल बनाए रखते हैं।
मस्जिद की बैठक पर खासतौर से मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि डिंपल यादव ने मस्जिद में सिर नहीं ढका, जो इस्लामिक परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस वजह से देशभर का मुसलमान अखिलेश और डिंपल से नाराज है।
वहीं, सपा समर्थकों का मानना है कि विपक्ष इस मुद्दे को बेवजह बढ़ा रहा है। पोस्टर लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि समाजवादी पार्टी सभी धर्मों का आदर करती है और नफरत की राजनीति नहीं करती।
फिलहाल Akhilesh Dimple मुद्दा राजनीतिक चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां एक ओर विपक्ष सवाल उठा रहा है, वहीं समाजवादी पार्टी अपने तरीकों से जवाब देने में जुटी है।