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IAS Rinku Singh Rahi: उठक-बैठक विवाद के बीच फिर चर्चा में आए जांबाज़ अधिकारी

IAS Rinku Singh Rahi

IAS Rinku Singh Rahi Video: शाहजहांपुर के पुवायां तहसील में एसडीएम रिंकू सिंह राही का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वे वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करते नजर आ रहे हैं। इस दृश्य ने प्रशासनिक व्यवस्था, अधिकार और विनम्रता को लेकर नई बहस छेड़ दी है। यह वही अफसर हैं जिन्होंने एक समय 100 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश कर पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी थी, और उसके बाद एक जानलेवा हमले का शिकार भी हुए थे।

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मंगलवार को IAS Rinku Singh Rahi ने पुवायां तहसील में अपना कार्यभार संभालने के बाद परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने खुले में पेशाब करते चार लोगों को पकड़कर उनसे उठक-बैठक करवाई। यह बात वकीलों को नागवार गुज़री और वे विरोध में धरने पर बैठ गए। मामला बढ़ता देख एसडीएम राही स्वयं धरनास्थल पहुंचे और वकीलों के आग्रह पर स्वयं उठक-बैठक कर अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए माफी मांग ली। इस घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैला और आम लोगों से लेकर प्रशासनिक हलकों तक चर्चा का विषय बन गया।

IAS Rinku Singh Rahi का प्रशासनिक जीवन संघर्षों से भरा रहा है। 2004 में प्रवर अधीनस्थ सेवा से समाज कल्याण अधिकारी बने राही को 2008 में मुजफ्फरनगर में तैनात किया गया था। वहां उन्होंने छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में हो रहे करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले को उजागर किया। इस साहसिक कदम के बाद 2009 में उन पर उस समय हमला हुआ जब वे बैडमिंटन खेल रहे थे। हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिससे उनका चेहरा और एक आंख बुरी तरह घायल हो गई।

हालांकि इस जानलेवा हमले के बाद भी IAS Rinku Singh Rahi ने हार नहीं मानी। महीनों इलाज और संघर्ष के बाद उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत मामले की जानकारी जुटाई और दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में प्रयास किए। 2012 में उन्होंने लखनऊ निदेशालय के बाहर अनशन भी किया था। इसके साथ ही उन्होंने UPSC की तैयारी जारी रखी और 2022 में IAS अधिकारी बने।

मूलतः अलीगढ़ के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले रिंकू सिंह राही ने एनआईटी जमशेदपुर से मेटलर्जी में बीटेक किया और GATE में ऑल इंडिया 17वीं रैंक हासिल की थी।

अब, शाहजहांपुर में उनका विनम्रता भरा यह कदम जहां कुछ लोगों को सकारात्मक प्रतीक लगा, वहीं कुछ इसे अफसरों की विवशता मान रहे हैं। लेकिन एक बात तय है—रिंकू सिंह राही का साहस और संघर्ष उन्हें अलग पहचान दिलाता है।

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