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Justice Yashwant Verma News: जस्टिस वर्मा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का विरोध, महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी

Justice Yashwant Verma

Justice Yashwant Verma News: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। एसोसिएशन ने सोमवार को जनरल हाउस की बैठक बुलाई है, जिसमें महाभियोग प्रस्ताव पारित करने की योजना है। वकीलों का आरोप है कि जस्टिस वर्मा के घर से करोड़ों रुपये बरामद हुए थे और इस मामले में ईडी और सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा है कि बार एसोसिएशन Justice Yashwant Verma को इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैठने नहीं देगा। यदि जरूरत पड़ी तो अदालत का काम भी ठप कराया जा सकता है। तिवारी ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम का यह निर्णय गलत है कि जस्टिस वर्मा को उनके गृह न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

जनरल हाउस में होगी आंदोलन की रूपरेखा तैयार

बार एसोसिएशन ने वकीलों, सांसदों और विधायकों को जनरल हाउस में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। अनिल तिवारी ने कहा कि अधिवक्ताओं के समर्थन के साथ महाभियोग प्रस्ताव को आगे बढ़ाने और ईडी-सीबीआई जांच की मांग पर चर्चा होगी। बार एसोसिएशन का मानना है कि जनता का न्यायपालिका पर से भरोसा टूटता जा रहा है और इस मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

तिवारी ने यह भी कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में वकीलों से परामर्श नहीं लिया जाता और नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। यह भी एक कारण है कि अयोग्य न्यायाधीशों को पद पर बिठाया जाता है। बार एसोसिएशन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के निर्णय का विरोध

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के उस निर्णय की आलोचना की है जिसके तहत Justice Yashwant Verma का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया। तिवारी ने कहा कि अगर कोई भी जज अपने घर में करोड़ों रुपये पकड़वाएगा तो क्या उसे उसके गृह न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा?

बार एसोसिएशन का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे न्यायाधीश को न्यायपालिका में बैठने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। अगर उनके खिलाफ आरोप हैं तो उन्हें तुरंत छुट्टी पर भेजा जाना चाहिए और मामले की उचित जांच होनी चाहिए। वकीलों का कहना है कि इस तरह के फैसले जनता के न्यायपालिका पर भरोसे को खत्म कर रहे हैं।

जनता के विश्वास की चुनौती

बार एसोसिएशन के सचिव विक्रांत पांडेय ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले ही न्यायाधीशों की कमी है और ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे न्यायाधीश का ट्रांसफर करना अनुचित है। पांडेय का कहना है कि जब तक आरोपों की जांच पूरी नहीं होती, तब तक जस्टिस वर्मा को छुट्टी पर भेजा जाना चाहिए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का यह स्पष्ट रुख है कि जस्टिस वर्मा को अदालत में बैठने नहीं दिया जाएगा और उनकी ओथ सेरेमनी का भी बहिष्कार किया जाएगा। अब सभी की निगाहें सोमवार को होने वाली जनरल हाउस की बैठक पर टिकी हैं, जिसमें यह तय होगा कि महाभियोग प्रस्ताव को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाए और आंदोलन की रणनीति क्या होगी।

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