Lucknow bonded labour: लखनऊ के मोहनलालगंज तहसील में संपूर्ण समाधान दिवस पर 70 वर्षीय कुसुमा ने अधिकारियों के सामने अपनी पीड़ा बयां की। उनका कहना है कि 25 साल पहले पति शिवपाल के निधन के बाद गांव के ही कुछ लोग उनके दस वर्षीय बेटे राममिलन को उठा ले गए और तब से उसे बंधक बनाकर मजदूरी करवा रहे हैं। कुसुमा के अनुसार, उसके पति और दादा ने 300 रुपये उधार लिए थे, जो उन्होंने अपने जीवनकाल में चुका नहीं पाए। इसी पैसे की वसूली के लिए आरोपी अब उसके बेटे का शोषण कर रहे हैं।
पीड़िता ने बताया कि आरोपी राममिलन को घर आने की अनुमति नहीं देते और फर्जी दस्तावेज़ बनाकर उसकी पुश्तैनी जमीन भी अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहे हैं। आरोप है कि मृत दिखाने के बाद मकान बेच दिया गया और जमीन के अधिकार भी हड़पने की साजिश की जा रही है। अकेले गुजर-बसर कर रही मां का कहना है कि न्याय पाने की उसकी कोशिशों के बावजूद बच्चे की सुरक्षा और संपत्ति बचाने में कठिनाई आ रही है।
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संपूर्ण समाधान दिवस में कुसुमा ने Lucknow एडीएम सिटी महेंद्र सिंह को प्रार्थना पत्र सौंपा। इसमें उसने बेटे की रिहाई और संपत्ति की सुरक्षा की मांग की। उनकी फरियाद सुनने के बाद एसडीएम पवन पटेल ने नायब तहसीलदार और कानूनगो से वरासत की जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। वहीं, एसीपी रजनीश कुमार वर्मा ने एसओ निगोहां को राममिलन के बंधक बनाए जाने की गंभीर जांच करने के आदेश दिए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए Lucknow प्रशासन ने इसे प्राथमिकता पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया। यह मामला सिर्फ परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि बच्चों के शोषण और सूदखोरी की गंभीर सामाजिक समस्या को भी उजागर करता है। 25 साल से चली आ रही इस त्रासदी ने बुजुर्ग मां की जिंदगी को और कठिन बना दिया है। अधिकारियों की जांच और तत्परता पर अब समाज की निगाहें टिकी हुई हैं।
यह घटना ग्रामीण इलाकों में बच्चों के अधिकार और सुरक्षा की चुनौती को भी सामने लाती है। Lucknow अधिकारियों के निर्देशों और जल्द कार्रवाई की उम्मीद के बीच अब राममिलन की रिहाई और उसकी संपत्ति की सुरक्षा ही न्याय की वास्तविक कसौटी बनेगी।