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Muzaffarnagar Robin encounter पर बवाल: ग्रामीणों ने बताया फर्जी, वायरल वीडियो से बढ़ा विवाद, बीजेपी ने कसे तेवर

Muzaffarnagar

Muzaffarnagar Robin encounter: मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना क्षेत्र में लूटकांड के आरोपी रॉबिन के पुलिस एनकाउंटर ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मंगलवार रात हुई इस मुठभेड़ में पुलिस का दावा है कि लूट की घटना के बाद चेकिंग के दौरान तीन बदमाशों से भिड़ंत हुई। पुलिस के मुताबिक, जवाबी कार्रवाई में आरोपी रॉबिन के पैर में गोली लगी और मौके से एक तमंचा, कारतूस तथा लूटी गई स्प्लेंडर बाइक बरामद की गई। जबकि दो अन्य आरोपी फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस टीमें जुटी हुई हैं।

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Muzaffarnagar पुलिस के अनुसार, चौकी बायवाला क्षेत्र के रहने वाले जौला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कुरथल के पास तीन बदमाशों ने उनसे और उनके साथी हामिद से बाइक और 2,000 रुपये लूट लिए। इसी सूचना पर परासौली नहर पटरी पर चेकिंग अभियान चल रहा था, तभी बदमाशों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। पुलिस का कहना है कि जवाबी कार्रवाई के दौरान रॉबिन घायल हुआ, जिसे हिरासत में लेकर अस्पताल भेजा गया।

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हालांकि, इस Muzaffarnagar एनकाउंटर को लेकर स्थानीय लोगों और बीजेपी नेताओं ने पुलिस की कहानी को पूरी तरह नकार दिया है। रॉबिन ठाकुर समाज से ताल्लुक रखता है और बीजेपी बुढ़ाना मंडल अध्यक्ष मोनू सिंह गुर्जर का चचेरा भाई है। रॉबिन के घायल होने के बाद ठाकुर समाज और बीजेपी नेताओं की पंचायत बुलाई गई, जिसमें पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए। पंचायत में आरोप लगाया गया कि पुलिस ने रॉबिन को मंगलवार शाम गांव के तालाब से जबरन उठाया और बाद में फर्जी मुठभेड़ दिखाते हुए गोली मार दी।

इस घटना के बाद ठाकुर समाज ने बुढ़ाना थाने का घेराव करने की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का भी आरोप है कि पुलिस सच्चाई छिपा रही है और बेगुनाह को अपराधी दिखाने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि यदि रॉबिन अपराधी था तो उसे अदालत में पेश किया जाना चाहिए था, न कि पैर में गोली मारकर फर्जी एनकाउंटर का नाटक रचा जाना चाहिए था।

विवाद तब और बढ़ गया जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ग्रामीणों की भीड़ पुलिस पर सवाल खड़ी करती दिख रही है। वीडियो में बीजेपी बुढ़ाना मंडल अध्यक्ष समेत कई स्थानीय लोग भी दावा करते नजर आते हैं कि रॉबिन को तालाब से उठाया गया था।

मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने रॉबिन के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीण इसे Muzaffarnagar पुलिस की “बचाव की चाल” मान रहे हैं। इस घटना ने स्थानीय स्तर से लेकर राजनीतिक गलियारों तक तनाव बढ़ा दिया है और निष्पक्ष जांच की मांग तेज हो गई है।

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