Noida IAS officer harasses woman: नोएडा के जीएसटी जोन में एक आईएएस अफसर पर महिला अधिकारी ने उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन सबसे विवादास्पद बात यह है कि आरोपी अफसर को ही जांच कमेटी गठित करने का निर्देश दे दिया गया। इस फैसले ने विभाग में भारी नाराजगी और विरोध की लहर पैदा कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि जिस व्यक्ति पर उत्पीड़न का आरोप है, उसे जांच की जिम्मेदारी देना पूरी तरह अनुचित है। महिला अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत भेजकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस विवाद ने राज्य कर विभाग में उथल-पुथल मचा दी है।
नोएडा जीएसटी जोन में तैनात वरिष्ठ आईएएस और अपर आयुक्त पर महिला अधिकारी ने गंभीर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। आरोपों में महिला अधिकारियों के साथ अनुचित व्यवहार, अपशब्दों का प्रयोग, निजी समय में धमकाना और वीडियो कॉल के माध्यम से दबाव बनाने का उल्लेख किया गया है।
इस विवादास्पद मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपी अफसर को ही जांच कमेटी बनाने का आदेश दे दिया गया। महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे लेकर विरोध जताया है। उनका कहना है कि जिस पर उत्पीड़न के आरोप हैं, वह स्वयं जांच का नेतृत्व नहीं कर सकता।
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नोएडा में तैनात सचल दल इकाई के अधिकारियों ने इस जांच कमेटी की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कमिश्नर राज्य कर को पत्र लिखा। पत्र में कहा गया कि अपर आयुक्त द्वारा गठित कमेटी निष्पक्ष जांच करने में सक्षम नहीं होगी। Noida अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि 15 अगस्त जैसी छुट्टी के दिन भी कार्यालय खोलकर पत्रावलियों की जांच कराई जा रही है, जो पूरी तरह अनुचित है।
महिला अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय को एक और लिखित शिकायत भेजी। इस शिकायत में आरोप है कि संबंधित अपर आयुक्त महिला अधिकारियों को धमकाते हैं और अपशब्दों से संबोधित करते हैं। शिकायत में यह भी उल्लेख है कि महिला अधिकारी को अपने चैंबर में खड़ा या बैठा कर घूरा जाता था, और रात में वीडियो कॉल के माध्यम से धमकाया जाता था।
इसके अलावा शिकायत करने वाली महिला अधिकारी को पहले ही गाजियाबाद में पुराने रिश्वत मामले में निलंबित किया जा चुका है। इसकी टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं।
दूसरे Noida विभागीय अधिकारियों ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया है और आरोपियों से जांच कराने की मांग की है। उनका मानना है कि बाहरी अधिकारियों को शामिल किए बिना निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।
मामले ने न केवल विभागीय कर्मचारियों में नाराजगी पैदा की है, बल्कि सरकार और मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने भी संवेदनशील प्रशासनिक चुनौती खड़ी कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच बेहद जरूरी है, ताकि महिला अधिकारियों की सुरक्षा और विभाग में भरोसा बहाल किया जा सके।
इस घटनाक्रम ने Noida जीएसटी जोन में प्रशासनिक विवाद और कर्मचारियों की नाराजगी को नया रूप दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में किस तरह का कदम उठाती है और विभाग में तनाव को कैसे कम किया जाता है।