SP Aarti Singh: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक (एसपी) आरती सिंह के खिलाफ एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उन्हें तुरंत कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दिया। यह सख्त कार्रवाई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता को धमकाने और उनके वकील को गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार करने के गंभीर आरोपों के बाद की गई।
मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ को पता चला कि एसपी के नेतृत्व में पुलिस ने न केवल याचिकाकर्ता प्रीति यादव को शिकायत न करने के लिए मजबूर किया और उनसे एक लिखित बयान लिया कि उन्होंने कोई याचिका दाखिल नहीं की है, बल्कि एक वकील अवधेश मिश्र को भी निशाना बनाया। पुलिस को संदेह था कि मिश्र ने ही याचिका दाखिल कराई है, जिसके चलते 11 अक्टूबर को उनके घर पर धावा बोला गया और बाद में मंगलवार को सुनवाई के बाद उन्हें कोर्ट के बाहर से गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ले लिया गया।
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हाईकोर्ट ने SP Aarti Singh की इस कार्यप्रणाली को न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला करार दिया और तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें तब तक अदालत में बिठाए रखा जब तक कि वकील रिहा नहीं हो गए।
मामले की शुरुआत फर्रुखाबाद निवासी प्रीति यादव की याचिका से हुई थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि 8 सितंबर की रात पुलिसकर्मियों ने उनके घर में घुसकर उनके दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया और लगभग एक सप्ताह तक रखा। पुलिस ने प्रीति का लिखित बयान कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और एसपी को तलब किया।
SP Aarti Singh को हिरासत में लेने के आदेश पर यूपी सरकार ने पक्ष रखने का आग्रह किया, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की। खंडपीठ ने बाद में एसपी आरती सिंह को बुधवार तक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का समय दिया, साथ ही उन्हें और उनकी पूरी टीम को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम में न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करने को अत्यंत गंभीरता से लिया है।