SP disaffiliated MLAs: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित किए गए तीन विधायकों—गोसाईगंज से अभय सिंह, गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार से मनोज पांडेय—को विधानसभा ने असंबद्ध घोषित कर दिया है। यह फैसला 9 जुलाई 2025 को विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के आदेश के तहत लिया गया। इन विधायकों को जून 2025 में सपा से निकाल दिया गया था।
पार्टी ने इन नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे। फरवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव के दौरान इन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में वोटिंग की थी। सपा का तीसरा उम्मीदवार इस क्रॉस वोटिंग के चलते हार गया था, जबकि भाजपा के सभी उम्मीदवार सफल रहे। इसके बाद सपा ने इन विधायकों को पार्टी से बाहर कर दिया और विधानसभा अध्यक्ष से इनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी।
SP ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि ये विधायक सपा की विचारधारा से भटक गए हैं और उन्होंने भाजपा की नीतियों का खुलकर समर्थन किया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि वे किसान, महिला और युवा विरोधी नीतियों के साथ खड़े दिखाई दिए। कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद ये अपनी गतिविधियों से नहीं रुके, जिससे पार्टी को कठोर फैसला लेना पड़ा।
9 जुलाई को विधानसभा ने इन्हें ‘असंबद्ध’ का दर्जा दिया, जिसका मतलब है कि ये विधायक अब किसी दल के सदस्य नहीं माने जाएंगे और सदन में स्वतंत्र रूप से बैठेंगे। हालांकि सपा चाहती थी कि इनकी सदस्यता पूरी तरह खत्म की जाए, लेकिन फिलहाल उन्हें स्वतंत्र विधायक की तरह मान्यता मिली है।
SP विधायकों ने भी इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी है। राकेश प्रताप सिंह ने इसे आज़ादी का क्षण बताया और कहा कि वे लंबे समय से दबाव महसूस कर रहे थे। वहीं अभय सिंह ने कहा कि वे मुलायम सिंह यादव के विचारों के प्रति समर्पित हैं, लेकिन वर्तमान सपा नेतृत्व से उनकी असहमति रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा की स्थिति को प्रभावित कर सकता है। भाजपा इस घटनाक्रम को सपा की आंतरिक कमजोरी बता रही है, जबकि सपा इसे अपनी विचारधारा की रक्षा का प्रयास बता रही है।
यह घटनाक्रम राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।