UP Jal Parivahan: उत्तर प्रदेश सरकार जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए 11 प्रमुख नदियों में जलमार्ग विकसित करने जा रही है। इस परियोजना के तहत 761 किलोमीटर लंबा रूट तैयार किया गया है, जिससे जल पर्यटन और माल ढुलाई को नई गति मिलेगी। गंगा, यमुना, सरयू, घाघरा, गोमती, चंबल, बेतवा, वरुणा, कर्मनाशा, राप्ती, मंदाकिनी और केन नदी को इस योजना में शामिल किया गया है। विभिन्न विभागों की विशेषज्ञ टीमें इन नदियों का सर्वेक्षण कर रही हैं ताकि जल परिवहन को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके। इससे प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, गाजीपुर, फर्रुखाबाद सहित कई जिलों को लाभ मिलेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
नदियों में जलमार्ग का सर्वेक्षण जारी
UP Jal Parivahan को विकसित करने के लिए विभिन्न विभागों की टीमों को सर्वेक्षण का कार्य सौंपा गया है। गंगा नदी में प्रयागराज से हल्दिया तक जलमार्ग पहले से मौजूद है, जिसे अब कानपुर और फर्रुखाबाद तक बढ़ाने की योजना है। इसके अलावा, यमुना, सरयू, घाघरा, गोमती, चंबल, बेतवा, वरुणा, कर्मनाशा, राप्ती, मंदाकिनी और केन नदी में भी जल परिवहन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। सरकार ने इस परियोजना के लिए लोक निर्माण, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन और वन एवं पर्यावरण विभाग के इंजीनियरों की एक टीम गठित की है। यह टीम नदियों के उद्गम से लेकर उनके संगम तक का विस्तृत सर्वेक्षण कर जल परिवहन के लिए उपयुक्त मार्गों की पहचान करेगी।
पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
इस UP Jal Parivahan योजना से प्रदेश में जल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और माल ढुलाई के नए रास्ते खुलेंगे। सरकार घाटों पर प्लेटफॉर्म और अन्य सुविधाओं का निर्माण करेगी, जिससे पर्यटकों को जलमार्ग के जरिए प्रमुख स्थलों तक पहुंचने का विकल्प मिलेगा। जलमार्ग विकसित होने से स्थानीय व्यापारियों और किसानों को अपने उत्पादों की ढुलाई में भी सुविधा होगी।
पहले भी हो चुका है जल परिवहन का प्रयास
प्रयागराज से हल्दिया तक जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग का दर्जा दिया गया है, और करीब 15 साल पहले इस मार्ग पर कोलकाता तक सीमेंट भेजा जाता था। हालांकि, जल स्तर कम होने के कारण इसे बंद कर दिया गया था। अब सरकार इस परियोजना को फिर से शुरू करने जा रही है और इसके संचालन के लिए लखनऊ में उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का कार्यालय स्थापित किया जाएगा।