UPPCL electricity rate hike: उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में 30% तक वृद्धि की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने विद्युत नियामक आयोग में इसका प्रस्ताव रखा है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो प्रदेश के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ सकता है। UPPCL का कहना है कि उनके खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं जबकि बिजली बिलों से मिलने वाली रकम घटती जा रही है, जिससे घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए बिजली दरों में वृद्धि अनिवार्य हो गई है। हालांकि इस प्रस्ताव का उपभोक्ता परिषद ने विरोध करते हुए इसे फर्जी आंकड़ों पर आधारित बताया है और विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति दर्ज कराई है।
पावर कॉरपोरेशन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए अपनी आय-व्यय रिपोर्ट आयोग को सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष में बिजली बिलों की वसूली केवल 88 प्रतिशत हो पाई, जिससे घाटा 4,378 करोड़ रुपए से बढ़कर 13,542 करोड़ रुपए हो गया। इस वित्तीय वर्ष यह घाटा बढ़कर लगभग 19,600 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है। बिजली खरीद, परिचालन, रखरखाव, ब्याज भुगतान और ऋण चुकाने में भारी खर्च हो रहा है, जबकि राजस्व घट रहा है। इन कारणों से बिजली दरों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है ताकि बढ़ते घाटे को कम किया जा सके।
एक बड़ी समस्या बिजली चोरी और बिल वसूली की कमी भी है। लगभग 10 प्रतिशत ट्रांसफार्मर खराब हालत में हैं। लगभग 54 लाख उपभोक्ताओं ने बिजली बिल का भुगतान एक बार भी नहीं किया है, जिनका कुल बकाया 36,353 करोड़ रुपए है। वहीं, 78 लाख से अधिक उपभोक्ताओं ने पिछले छह महीनों से बिल भुगतान नहीं किया, जिन पर 36,117 करोड़ रुपए का बकाया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान 50 प्रतिशत से अधिक है, जिससे कॉरपोरेशन का घाटा और बढ़ रहा है।
UPPCL के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि खर्च 8.3 प्रतिशत और राजस्व 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसके चलते वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है। इस बढ़ते घाटे को रोकने के लिए सुधार जरूरी है।
वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक और फर्जी आंकड़ों पर आधारित बताया है। परिषद ने कहा है कि कंपनियों ने वास्तविक वसूली के आधार पर राजस्व गैप को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है, जिससे बिजली दरों में 15 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। परिषद ने इस प्रस्ताव के खिलाफ व्यापक संघर्ष की बात कही है।
इस तरह, बिजली कंपनियों के बढ़ते घाटे और उपभोक्ताओं की बढ़ती मुश्किलों के बीच बिजली दरों की बढ़ोतरी का मसला अब नियामक आयोग के सामने है, जिसका फैसला पूरे प्रदेश के लिए अहम होगा।