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UP में बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी, उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटका

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UP electricity hike: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही बिजली के बढ़े हुए बिलों का सामना करना पड़ सकता है। पावर कॉरपोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें श्रेणियों के अनुसार बिजली दरों में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी की मांग की गई है। यह प्रस्ताव 14 जून को दाखिल किया गया है और इसकी सुनवाई जुलाई में होनी है। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं की जेब पर भारी असर पड़ सकता है।

शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं पर सीधा असर

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प्रस्ताव के अनुसार, UP शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की दरें 35-40 फीसदी और ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दरें 40-45 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। कॉमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए 20-25 फीसदी और औद्योगिक उपयोगकर्ताओं के लिए 15-18 फीसदी तक की वृद्धि प्रस्तावित है। औसतन यह वृद्धि 29 से 30 प्रतिशत तक जा सकती है। साथ ही, नए कनेक्शन की दरें भी 25-30 फीसदी तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।

घाटे का हवाला देकर बढ़ोतरी की मांग

UP पावर कॉरपोरेशन ने अपनी सालाना रिपोर्ट में करीब 19,644 करोड़ रुपये का घाटा बताया है, जो कलेक्शन एफिशिएंसी पर आधारित है। इसी आधार पर दरें बढ़ाने की सिफारिश की गई है। यह प्रस्ताव सार्वजनिक होते ही उपभोक्ताओं और उपभोक्ता संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं।

उपभोक्ता परिषद का विरोध

UP राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों के पास करीब 33,122 करोड़ रुपये का अधिशेष (सरप्लस) है, इसलिए दरें बढ़ाने की बजाय घटाई जानी चाहिए। उन्होंने आयोग को 4 फीसदी तक की दर कटौती का प्रस्ताव सौंपा है और मांग की है कि वर्तमान बढ़ोतरी प्रस्ताव को खारिज किया जाए।

निजीकरण पर भी मंथन

राज्य सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की दिशा में भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं। एनर्जी टास्क फोर्स ने नियामक आयोग से इस पर सलाह मांगी है। योजना के तहत, दो कंपनियों की जगह पांच नई बिजली वितरण कंपनियां बनाई जाएंगी, जिनमें 51 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की और 49 फीसदी हिस्सेदारी सरकार की होगी।

प्रस्तावित दरों की श्रेणीवार झलक

श्रेणी संभावित बढ़ोतरी (%)
शहरी घरेलू 35-40%
ग्रामीण घरेलू 40-45%
कॉमर्शियल 20-25%
औद्योगिक 15-18%
औसतन 29-30%

यदि प्रस्तावित दरों को मंजूरी मिलती है, तो यूपी के करोड़ों उपभोक्ताओं को हर महीने अधिक बिजली बिल चुकाना पड़ेगा। वहीं, इस मसले पर उपभोक्ताओं और सरकार के बीच खींचतान भी तेज हो सकती है। अब सबकी नजर नियामक आयोग की सुनवाई पर टिकी है।

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