Barabanki News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का निजामपुर गांव वर्षों से शिक्षा के अभाव में खोया हुआ था। आज़ादी के बाद पूरे 77 साल तक इस गांव का कोई भी व्यक्ति हाई स्कूल की परीक्षा पार नहीं कर पाया था। लेकिन 2025 में राम केवल नाम के एक युवक ने इस मिथक को तोड़ते हुए न सिर्फ हाई स्कूल की परीक्षा पास की, बल्कि पूरे गांव के लिए नई उम्मीद जगाई। साधारण मजदूर परिवार से ताल्लुक रखने वाले राम केवल ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी लगन और मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया।
राम केवल के पिता जगदीश प्रसाद मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं, जबकि उनकी मां पुष्पा देवी एक प्राथमिक विद्यालय में रसोइया के रूप में काम करती हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, इसके बावजूद माता-पिता ने बेटे की पढ़ाई जारी रखने के लिए हर संभव प्रयास किया। राम केवल दिन के समय मजदूरी करते और रात में सड़क की लाइट में पढ़ाई करते थे। कई बार साथी बच्चे उनका मजाक उड़ाते थे, यह कहते हुए कि उनके गांव में कोई हाई स्कूल पास नहीं कर सका, तो वे भी नहीं कर पाएंगे। इसी ताने ने राम केवल के भीतर दृढ़ संकल्प पैदा किया कि वे न सिर्फ यह परीक्षा पास करेंगे, बल्कि गांव का नाम भी बदलकर रख देंगे।
प्राथमिक विद्यालय Barabanki के प्रधानाध्यापक शैलेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि निजामपुर में अंग्रेजी शासन के दौरान 1923 में स्कूल की स्थापना हुई थी, लेकिन पिछले सात दशकों में शिक्षा के प्रति लोगों की रुचि कम रही। अधिकांश लोग मजदूरी में लगे रहते और पढ़ाई को महत्व नहीं देते थे। राम केवल की सफलता ने इस परंपरा को तोड़ दिया है।
Barabanki जिला अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने राम केवल की उपलब्धि पर उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि इस सफलता ने गांव में शिक्षा के प्रति एक नई भावना जगाई है। राम केवल की मां ने भी बेटे की पढ़ाई का खर्च रसोइया की मामूली आय से जुटाया, और बेटे के संघर्ष को देखकर खुद भी गर्व महसूस किया।
राम केवल का यह सफर सिर्फ उनकी जीत नहीं है, बल्कि पूरे निजामपुर गांव के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि मजबूत इच्छाशक्ति और परिश्रम से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अब गांव के अन्य बच्चे भी शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं और यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में कई और राम केवल इस गांव की तस्वीर बदलेंगे।