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Lucknow में कांग्रेस का विवादित होर्डिंग प्रकरण: राहुल-अखिलेश को रथ पर दर्शाया, कृष्ण को बनाया सारथी

Lucknow

Lucknow Congress hoardings: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राजनीतिक माहौल अचानक गरम हो गया, जब कांग्रेस ने अपने कार्यालय के बाहर एक विवादित होर्डिंग लगाई। इस होर्डिंग में भगवान श्रीकृष्ण के रथ पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव को सवार दिखाया गया था। पोस्टर पर गीता का श्लोक “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…” और ‘वोट चोरी के खिलाफ युद्ध’ का नारा भी लिखा गया था। इसे सीधे तौर पर बीजेपी पर निशाना साधने वाला माना गया। युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष शरद शुक्ला द्वारा लगवाए गए इस पोस्टर को इंडिया गठबंधन की एकजुटता और जनता के मुद्दों को जोर देने की कोशिश के रूप में देखा गया। हालांकि, विवाद के चलते इसे अब हटा दिया गया है।

होर्डिंग का दृश्य और संदेश

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Lucknow के कांग्रेस कार्यालय के सामने यह होर्डिंग राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर लगाई गई थी। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के रथ पर राहुल गांधी को दाहिनी ओर और अखिलेश यादव को बाईं ओर दर्शाया गया। होर्डिंग पर गीता श्लोक के साथ बड़े अक्षरों में वोट चोरी के खिलाफ संघर्ष का संदेश भी लिखा था। इस तरह का संदेश लोकतंत्र की रक्षा और विरोधी दलों पर निशाना साधने का प्रतीक माना जा रहा है।

राजनीतिक मकसद और गठबंधन की मजबूती

विशेषज्ञों के अनुसार, इस होर्डिंग का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच मजबूत तालमेल का संदेश देना था। राहुल गांधी और अखिलेश यादव के अच्छे संबंधों को जनता के सामने प्रदर्शित करने की कोशिश भी इसमें शामिल थी। बिहार में राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी के खिलाफ चल रही यात्रा और अभियान को देखते हुए, लखनऊ में यह होर्डिंग इंडिया गठबंधन के मुद्दों को राज्य में भी उठाने की रणनीति का हिस्सा लगती है।

विवाद और प्रतिक्रिया

होर्डिंग लगने के बाद कुछ ही समय में इसे हटा दिया गया। राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिससे जनभावना पर असर डाला जा सके। जनता और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही—कई लोग इसे मजाकिया या अतिशयोक्तिपूर्ण मान रहे हैं, जबकि समर्थक इसे लोकतंत्र और गठबंधन की मजबूती का प्रतीक मान रहे हैं।

Lucknow का यह विवादित पोस्टर राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह घटना न केवल कांग्रेस और सपा की एकजुटता को दर्शाती है, बल्कि आगामी चुनावों में इसकी रणनीतिक भूमिका और वोटर धाराओं पर पड़ने वाले असर को भी उजागर करती है। भविष्य में यूपी की सियासत में इसके प्रभाव को और स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

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