Kanpur News: दीपावली पर कानपुर में ठंड की आमद शुरू होने के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ने लगा है। दीपावली के मौके पर पटाखों के चलते प्रदूषण ग्राफ अचानक से बढ़ा। 1 नवंबर को भी ये स्थिति बरकरार रही। कानपुर में 1 नवंबर को PM-2.5 AQI 289 दर्ज किया गया, जो ऑरेंज जोन में आता है। इसके अलावा पीएम-10 की मात्रा भी खतरनाक स्थिति से बढ़ रही है।
सुबह की स्थिति खतरनाक स्तर पर
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों की बात करें तो शनिवार सुबह भी पॉल्यूशन का स्तर खतरनाक स्थिति में दर्ज किया गया। सुबह का AQI PM-2.5-196.41 और पीएम-10 253.95 दर्ज किया गया। हवा में बड़े प्रदूषित कणों की मात्रा ज्यादा दर्ज की जा रही है।
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कैसे इस स्तर पर पहुंच रहा प्रदूषण?
कानपुर के प्रदूषण में धूल, निर्माण आदि का हिस्सा 30 प्रतिशत तक है। 22 प्रतिशत इंडस्ट्रीज का, 17 प्रतिषत ट्रांसपोर्ट का, 10 प्रतिशत हिस्सा घरों का, 11 प्रतिषत हिस्सा अन्य कारकों का है जिनमें कचरा जलाना शामिल है। बावजूद इसके निर्माण और डस्ट पॉल्यूशन रोकने को लेकर कोई खास प्रबंध नहीं किए जाते हैं। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक सांस लेने योग्य हवा में पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर और पीएम 2.5 का 60 माइक्रो ग्राम क्यूलबिक मीटर होना चाहिए। पीएम-2.5 और PM 10 का स्तर बढ़ने से दम घुटने जैसी स्थिति होने लगती है।
पीएम 2.5 का बढ़ना ज्यादा खतरनाक
हवा में पीएम 2.5 का बढ़ना शहरवासियों के लिए खतरनाक हो सकता है। दरअसल, जितने छोटे कण होंगे, वे शरीर में आसानी से घुस जाएंगे। पीएम 2.5 के काफी सूक्ष्म कण होते हैं, जो सांस लेने के दौरान शरीर में दाखिल होकर फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं।
20 प्रतिशत बढ़े दमा के मरीज
सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है। यह बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत देते हैं। लगातार इनके संपर्क से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। वहीं डॉक्टर्स के मुताबिक पटाखे चलने से दमा के मरीजों की संख्या में हर साल 20 प्रतिशत इजाफा हो जाता है।
ऐसे रखें खुद को सुरक्षित
- मास्क का इस्तेमाल करें।
- बाहर व्यायाम करने से बचें।
- लकड़ी न जलाएं यह प्रदूषण का मुख्य स्रोत है।
- धूम्रपान न करें।
- इनडोर स्पेस में एयर फ्यूरीफायर उपयोग करें।
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