Kanpur News: धनतेरस पर कानपुर के सराफा बाजारों में रौनक चरम पर है। सोने-चांदी के बढ़ते दामों के बीच भी लोगों का आधुनिक चांदी के शुद्ध सिक्कों ने ग्राहकों का ध्यान खींचा है। ब्रिटिश काल के सिक्कों की पारंपरिक मांग अब धीमी पड़ रही है। लोग 100 प्रतिशत शुद्धता वाले नए सिक्कों की ओर रुख कर रहे हैं। बाजार में राम विग्रह और चांदी के तुलसी पौधे जैसी आकर्षक वस्तुएं भी खूब लोकप्रिय हो रही हैं।
सोने का बाजार पूरी तरह से विलुप्त
सराफा कारोबारियों के मुताबिक ब्रिटिश काल में 11.664 ग्राम का चांदी का सिक्का तैयार किया जाता था। उसकी शुद्धता 91.60 प्रतिशत होती थी। आज के दौर में इन सिक्कों का मूल्य करीब 1200 रुपये है। इसके बाद 1940 से 1947 के बीच ब्रिटिश शासन ने गिल्टी व कांसे का सिक्का बाजार में उतारा था, जो 50 प्रतिशत शुद्ध होता है।आज के दौर में करीब 475 रुपये दाम है। वहीं सोने में 8 ग्राम वजन की गिन्नी 91.60 प्रतिशत शुद्ध होती है। इतनी ही शुद्धता का सोने का पचगिन्ना भी लोग खासा पसंद करते थे। वह बाजार से पूरी तरह से विलुप्त हो चुका है।
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कितनी प्रतिशत है सिक्कों की शुद्धता ?
सराफा कारोबारियों के मुताबिक ब्रिटिश काल के सोने चांदी के सिक्कों की रॉयल्टी होने के कारण इनकी लागत अधिक और शुद्धता भी 100 प्रतिशत नहीं थी। उत्तर प्रदेश सराफा एसोसिएशन मंत्री राम किशोर मिश्रा की माने तो ब्रिट्रिश काल के सिक्कों की 91.60 प्रतिशत शुद्धता होती है, जबकि बाजार में आ रहे आधुनिक सिक्कों की 100 प्रतिशत शुद्धता है।
सिक्कों में अलग-अलग प्रतिमा
सराफा कारोबारी सिक्कों में मुहर के साथ फर्म का होलोग्राम भी लगा रहता है ताकि वापसी में ग्राहक को नुकसान न हो। उन्होंने बताया कि बाजार में 5 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक के चांदी के सिक्के मिलेंगे। जिसमें गणेश-लक्ष्मी, शंकर-पार्वती, हनुमान के साथ भगवान राम की प्रतिमा के भी सिक्के है, इसके साथ ही राम विग्रह की प्रतिमा व चांदी का फैशनेबल तुलसी का पौधा करीब 7000 की कीमत में बाजार में उपलब्ध है।