UP high rise buildings: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 33 बड़े शहरों के लिए बिल्डिंग बायलॉज में बड़ा बदलाव करते हुए इमारतों की ऊंचाई पर लगी सीमा हटा दी है। अब लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, मेरठ, आगरा, गाजियाबाद समेत अन्य प्रमुख शहरों में बिल्डर अपनी मनमर्जी की ऊंचाई तक इमारत बना सकेंगे। हालांकि, इस छूट के साथ एक महत्वपूर्ण शर्त भी रखी गई है कि ऐसी ऊंची इमारतें केवल उन सड़कों पर बन सकेंगी जिनकी चौड़ाई 45 मीटर या उससे अधिक है।
UP शासन ने इस नई बिल्डिंग नीति को मंजूरी दे दी है और इसे बहुत जल्द कैबिनेट से भी स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। इस फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश में मुंबई और दुबई की तर्ज पर गगनचुंबी इमारतें दिखाई देंगी। बिल्डर जितनी ऊंची इमारत बनाना चाहें, बना सकेंगे, क्योंकि अब ऊंचाई और फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) की सीमा समाप्त कर दी गई है। इसका सीधा लाभ रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा, जिससे शहरों का तेजी से विकास संभव होगा।
हालांकि, नई नीति में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष क्षेत्रों में ऊंचाई की सीमा को बरकरार रखा गया है। लखनऊ में विधानसभा, मुख्यमंत्री आवास, गवर्नर हाउस और दारुलशफा जैसे हाई सिक्योरिटी जोन में ऊंचाई पर प्रतिबंध रहेगा। प्रयागराज में हाईकोर्ट के आसपास भी यह नियम लागू रहेगा। इसके अलावा एयरपोर्ट के पास फनल जोन में इमारत की ऊंचाई एयरपोर्ट अथॉरिटी से एनओसी मिलने के बाद ही तय होगी।
इस नीति के तहत अपार्टमेंट, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और व्यावसायिक भवनों की ऊंचाई पर अब कोई रोक नहीं रहेगी। बिल्डर 200 मंजिल तक की इमारतें भी बना सकेंगे। लेकिन अस्पतालों के निर्माण पर अभी कुछ सीमाएं रहेंगी, क्योंकि फायर डिपार्टमेंट 50 मंजिल से ऊंचे अस्पताल भवनों को अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं देता। इसका मतलब है कि 50 मंजिल से ऊंचे केवल अपार्टमेंट या व्यावसायिक भवन बनाए जा सकते हैं।
एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि बिल्डिंग बायलॉज का प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जा चुका है और जल्द ही इसे अंतिम मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि इस कदम से शहरी विकास को नई दिशा मिलेगी और बिल्डरों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी।
इस नई व्यवस्था से UP के प्रमुख शहरों में रियल एस्टेट और निर्माण कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है।