Operation Sindoor Represnt Nari Shakti: पहलगाम की वो काली रात, जब आतंकियों ने निर्दोषों को निशाना बनाया, भारत के दिल को झकझोर गई। इस हमले ने न केवल कई घरों के चिराग बुझा दिए, बल्कि अनेक महिलाओं से उनका सिंदूर और मंगलसूत्र भी छीन लिया। लेकिन भारत की बेटियां इस दर्द को कमजोरी नहीं, बल्कि हथियार बना चुकी थीं। इसी आक्रोश और संकल्प से जन्म हुआ ऑपरेशन सिंदूर का — एक ऐसा मिशन जो हर उस नारी के सम्मान का जवाब बना, जिसकी दुनिया आतंक ने उजाड़ दी थी।
इस Operation Sindoor का नेतृत्व किया दो अद्भुत महिला अधिकारियों ने — कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। दोनों ने अपने साहस और रणनीति से आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोफिया ने आतंक के खिलाफ इस कार्रवाई की जानकारी दी, तो उनकी आंखों में मातृत्व का दर्द और आवाज़ में एक सैनिक की दृढ़ता थी। वहीं व्योमिका का बयान, “हमने न्याय दिलाया,” हर उस महिला के लिए आश्वासन था, जिसने अपना सुहाग खोया था।
Operation Sindoor सिंदूर सिर्फ एक सैन्य जवाब नहीं था, यह एक भावनात्मक प्रतिज्ञा थी— हर उस मंगलसूत्र की रक्षा की, जो भारत की संस्कृति और नारी के आत्मसम्मान का प्रतीक है। यह संदेश था कि भारत की महिलाएं अब सिर्फ रक्षा की मोहताज नहीं, बल्कि स्वयं रक्षक बन चुकी हैं।
इस Operation Sindoor मिशन की सफलता ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत की सेना सिर्फ हथियारों की ताकत से नहीं, बल्कि अपने जवानों और वीरांगनाओं के जज्बे से लड़ती है। सोफिया और व्योमिका ने उस हर महिला को प्रेरणा दी, जो कभी खुद को असहाय मानती थी। उन्होंने दिखा दिया कि जब नारी शक्ति उठती है, तो दुश्मन की कोई साजिश टिक नहीं सकती।
ऑपरेशन सिंदूर हर उस भारतीय नारी का उत्सव है, जो अपने सिंदूर को सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि सम्मान और शक्ति का प्रतीक मानती है। यह जीत सिर्फ सेना की नहीं, हर भारतीय स्त्री की है।