Allahabad High Court on Interfaith Marriage: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि अंतरधार्मिक विवाह विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत न होकर किसी धार्मिक संस्था में किया गया हो, और धर्म परिवर्तन न हुआ हो, तो वह विवाह अवैध माना जाएगा। यह टिप्पणी उस समय आई जब एक मुस्लिम युवक सोनू उर्फ शाहनूर ने खुद पर दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग की। उस पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग हिंदू लड़की का अपहरण कर उससे शादी की।
युवक ने दावा किया कि उसने 14 फरवरी 2020 को लड़की से प्रयागराज के आर्य समाज मंदिर में विवाह किया। लेकिन कोर्ट ने पाया कि लड़की उस वक्त नाबालिग थी और उनका विवाह धर्मांतरण के बिना हुआ था, जो कि गैरकानूनी है। Allahabad High Court ने इस मामले में सोनू की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कानूनन यह विवाह मान्य नहीं है और उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक धाराएं जैसे IPC की धारा 363 (अपहरण), 366 (महिला को शादी के लिए मजबूर करना), 376 (बलात्कार) और पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 जारी रहेंगी।
सुनवाई के दौरान, सरकारी वकील ने बताया कि लड़की का हाई स्कूल प्रमाणपत्र इस बात की पुष्टि करता है कि वह नाबालिग थी। इसके अलावा, चूंकि लड़की और लड़का अलग-अलग धर्मों से थे, उनकी शादी तब तक वैध नहीं मानी जा सकती जब तक उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के तहत उचित प्रक्रिया पूरी न हो। वकील ने आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाणपत्र पर भी सवाल उठाए, और इसे संभावित रूप से जाली बताया।
Allahabad High Court ने इस पर गंभीर चिंता जताई और उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव को आदेश दिया कि वे यह जांच कराएं कि क्या आर्य समाज मंदिर बिना नियमों के पालन के विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। जांच एक पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी। अदालत ने यह भी दोहराया कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां आर्य समाज की आड़ में कुछ लोग अवैध रूप से शादियां करवा रहे हैं, उम्र और सहमति की पुष्टि किए बिना।
हालांकि, संविधान का विशेष विवाह अधिनियम 1954 ऐसी स्थिति में धर्मांतरण के बिना भी दो धर्मों के व्यक्ति को विवाह की अनुमति देता है, लेकिन यह विवाह आर्य समाज मंदिर में हुआ था, न कि रजिस्ट्रार के समक्ष। अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।