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UP News : महंगी किताबों के खिलाफ भड़का कानपुर पुस्तक व्यापार मंडल, साठगांठ का लगाया आरोप

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UP News : कानपुर में स्कूलों द्वारा तय दुकानों और कैंपस के अंदर ही किताबें व स्टेशनरी बेचने की प्रथा के खिलाफ अब अभिभावकों के साथ-साथ पुस्तक व्यापार मंडल भी आवाज़ बुलंद कर रहा है। व्यापार मंडल ने स्कूलों और प्रकाशकों के बीच मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि अभिभावकों और आम व्यापारियों को इसका बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

प्रकाशकों-संस्थानों की साठगांठ से बढ़ रहे हैं दाम

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कानपुर पुस्तक व्यापार मंडल के अध्यक्ष दिनेश बाबा और मंत्री आलोक दुबे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एसीएम चतुर्थ रामानुजन से मुलाकात कर इस मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि शासनादेश और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद किताबें स्कूल कैंपस और तय दुकानों से बेची जा रही हैं। इन पर मनमानी कीमत वसूली जा रही है और किताबों के दाम जानबूझकर बढ़ा दिए जाते हैं।

किताबों की कीमत तय करने का कोई मानक नहीं

व्यापार मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि किताबों की कीमत तय करने के लिए कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है, जिसका स्कूल और प्रकाशक मिलकर फायदा उठा रहे हैं। स्कूल ऐसी किताबें लगवाते हैं जो बाजार में उपलब्ध नहीं होतीं। कुछ स्कूल अपनी खुद की किताबें भी छपवाने लगे हैं, जिससे उन्हें पूरा लाभ मिल जाता है।

शिक्षा विभाग की छापेमारी, लेकिन कार्रवाई नहीं

शिक्षा विभाग की ओर से दो दिनों तक उन दुकानों पर छापेमारी की गई जहां से स्कूलों ने किताबें और कॉपियाँ खरीदने का दबाव बनाया था। हालांकि इन दुकानों के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। केवल स्कूलों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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हर साल बदला जाता है सिलेबस

व्यापार मंडल ने आरोप लगाया कि स्कूल हर साल सिलेबस बदल देते हैं ताकि अभिभावक पुरानी किताबें न खरीद सकें और नई खरीदने को मजबूर हो जाएं। इसके साथ ही दुकानों से कैश मेमो न देकर टैक्स की चोरी भी की जाती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि निजी प्रकाशकों द्वारा छापी गई किताबों का मूल्यांकन कराया जाए, जिससे मनमानी कीमतों पर अंकुश लगाया जा सके। एसोसिएट जिला विद्यालय निरीक्षक प्रशांत द्विवेदी ने बताया कि छापेमारी शिकायतों के आधार पर की गई है और पूरी रिपोर्ट 7 अप्रैल को होने वाली शुल्क नियामक समिति की बैठक में रखी जाएगी।

सरकारी किताबें बाजार से नदारद

यूपी बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक की एनसीईआरटी आधारित सरकारी किताबें अभी बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। दुकानदार पुराने स्टॉक से ही काम चला रहे हैं और छात्र मजबूरी में वही खरीद रहे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक अरुण कुमार ने जानकारी दी कि इन किताबों की जल्द आपूर्ति के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे सत्र की शुरुआत में छात्रों को परेशानी न उठानी पड़े।

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