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Tuesday, July 23, 2024
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Cheque Bounce होने के बाद जेल जाने से बचना है तो तुरंत करें ये काम, आज ही जानें नियम

Cheque Dishonored Rules: यूपीआई के इस दौर में भी चेक बहुत जरूरी है। किसी भी बड़े लेनदेन के लिए ज्यादातर लोग चेक का इस्तेमाल करते हैं। लोन लेने के बाद भी बैंक कर्ज की किस्त के लिए चेक का ही इस्तेमाल करता है। प्राइवेट नौकरी हो या कोई अन्य काम उसमें भी कैंसल चेक मांगा जाता है। बहुत से ऐसे काम होते हैं जो बिना चेक के संभव नहीं होते। इसलिए चेक भरते समय आपको बहुत सावधानी की जरूरत है। क्योंकि एक छोटी सी गलती के कारण आपका चेक बाउंस (Cheque Bounce) हो सकता है। बैंक की भाषा में चेक बाउंस को Dishonored Cheque कहते हैं इसकी वजह से आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

Cheque Bounce होना दंडनीय अपराध

आज भी बहुत से लोग चेक बाउंस को मामूली बात समझते हैं। लेकिन परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instrument Act 1881) की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध माना गया है। इसके तहत आपको दो साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि चेक बाउंस होने पर आपके ऊपर तुरंत एफआईआर या मुकदमा चला दिया जाएगा। चेक बाउंस होने पर पहले बैंक आपको इस गलती को सुधारने का मौका देते हैं। आज हम आपको चेक बाउंस होने का कारणों के बारे बताएंगे। साथ ही एक चेक बाउंस पर कितना फाइन लगता है और मुकदमे की नौबत कब आती है? इसकी जानकारी देंगे…

Cheque Bounce होने के कारण

  • अकाउंट में बैलेंस न होना या कम होना
  • सिग्‍नेचर मैच न होना
  • शब्‍द लिखने में गलती
  • अकाउंट नंबर में गलती
  • ओवर राइटिंग
  • चेक की समय सीमा समाप्‍त होना
  • चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद होना
  • जाली चेक का संदेह
  • चेक पर कंपनी की मुहर न होना आदि

चेक बाउंस होने पर बैंक वसूलती है जुर्माना (Cheque Bounce Penalty)

चेक डिसऑनर होने पर बैंक द्वारा जुर्माना वसूला जाता है। ये जुर्माना चेक जारी करने वाले व्यक्ति से लिया जाता है। जुर्माने की रकम चेक बाउंस के कारणों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। साथ ही हर बैंक ने इसके लिए अलग-अलग रकम तय की है। आमतौर पर 150 रुपए से लेकर 750 या 800 रुपए तक जुर्माना बैंक द्वारा वसूला जाता है।

गलती सुधारने के लिए बैंक देती है 3 महीने समय

चेक बाउंस होने पर बैंक आपको इस गलती को सुधारने का मौका देती है। चेक बाउंस होने पर बैंक आपको सूचित करती है। इसके बाद दूसरा चेक लेनदार को देने के लिए आपको 3 महीने का समय दिया जाता है। अगर दूसरा चेक भी बाउंस हो जाता है तो ऐसी स्थिति में लेनदार आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

कब दर्ज हो सकता है केस?

चेक बाउंस या डिसऑनर होने के तुरंत बाद केस नहीं किया जाता है। इससे पहले बैंक की तरफ से लेनदार को चेक बाउंस होने के कारण की रसीद जी जाती है। इसके बाद लेनदार 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेज सकता है। 15 दिनों के भीतर नोटिस का जवाब न देने पर लेनदार कोर्ट में केस फाइल कर सकता है।

लेनदार को एक महीने के भीतर मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दर्ज करानी होती है। इसके बाद भी अगर देनदार से रुपए न मिले तो वो उस पर केस कर सकता है। दोषी पाए जाने पर देनदार के ऊपर 2 साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों लगाया जा सकता है।

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