भारतीय शेयर मार्केट (Share Market) हांगकांग के शेयर बाजार (Hongkong) को पछाड़कर चौथे नंबर पर काबिज हो गया है। ब्लूमबर्ग (Bloomberg) के डाटा अनुसार भारतीय एक्सचेंजों पर लिस्टेड शेयरों की कंबाइन वैल्यू 4.33 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई। जबकि, हांगकांग के लिए यह आंकड़ा 4.29 ट्रिलियन डॉलर था, साथ ही भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट भी बन गया है। घरेलू मार्केट का मार्केट कैप पिछले महीने 5 दिसंबर को पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर को पार हुआ था। इसमें से 2 ट्रिलियन डॉलर पिछले चार वर्षों में आया था। तेजी से बढ़ते खुदरा निवेशक बेस और मजबूत कॉर्पोरेट्स आय के कारण भारत में इक्विटी तेजी से ग्रोथ कर रही है। दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश ने खुद को चीन (China) के विकल्प के रूप में प्रतिस्थापित किया है। भारतीय बाजार अब वैश्विक इन्वेस्टर्स और कंपनियों से नई पूंजी आकर्षित कर रहा है।
2024 में भारतीय बाजार से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
एक रिपोर्ट के अनुसार, यूबीएस ग्रुप एजी का मानना है कि 2024 में चीनी शेयर बाजार भारतीय प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इस महीने की शुरुआत में एक नोट के अनुसार, बर्नस्टीन को उम्मीद है कि चीनी बाजार (China Share Market) में भी काफी सुधार होगा। हैंग सेंग चाइना एंटरप्राइजेज इंडेक्स, हांगकांग में लिसटेड चीनी शेयरों का एक गेज 2023 में चार साल की रिकॉर्ड गिरावट को रोकने के बाद पहले से ही नीचे है। जबकि, भारत के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी रिकॉर्ड-उच्च स्तर के करीब व्यवसाय कर रहे हैं।
लंदन स्थित थिंक-टैंक आधिकारिक मॉनेटरी एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस फोरम के हालिया अध्ययन के अनुसार विदेशी फंडों ने 2023 में भारतीय शेयरों में 21 अरब डॉलर से अधिक का इन्वेस्ट किया, जिससे देश के बेंचमार्क एसएंडपी BSE सेंसेक्स इंडेक्स को लगातार 8वें साल बढ़त हासिल करने में मदद हाथ लगी।
चीनी और हांगकांग के शेयरों की कुल मार्केट दर 2021 में अपने चरम पर पहुंचने के बाद से 6 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा गिर गई है। फिलहाल हांगकांग में नई लिस्टिंग नहीं हो रही है। यह IPO हब के लिए दुनिया के सबसे व्यस्त स्थानों में से शीर्ष रूप में अपनी स्थिति खो रहा है।
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