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DNA विवाद फिर गरमाया, ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव को दिया जोरदार जवाब

DNA

DNA controversy: उत्तर प्रदेश की राजनीति में DNA को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सोशल मीडिया पोस्ट का सख्त जवाब दिया है। दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। ब्रजेश पाठक ने अपनी पोस्ट में कहा कि उन्होंने अखिलेश यादव से उनकी पार्टी के DNA यानी राजनीतिक इतिहास और कृत्यों पर सवाल किए थे, जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला। उन्होंने साफ कहा कि अगर जवाब नहीं है तो माफी मांगकर बात खत्म कर लेनी चाहिए।

ब्रजेश पाठक ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लंबा संदेश लिखा जिसमें उन्होंने तंज कसा कि अखिलेश ने उनके सवाल का जवाब देने के लिए जो थीसिस लिखवाई है, वह राजनीतिक विज्ञान के बजाय होम साइंस की तरह है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे उत्तर देने वालों ने खुद जवाब पढ़ा ही नहीं। उन्होंने आग्रह किया कि इस तरह की पोस्ट करने से पहले थोड़ी समझदारी से काम लेना चाहिए।

इस दौरान ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के राजनीतिक अतीत की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने सवाल उठाए कि DNA से जुड़ा सवाल क्यों इतना संवेदनशील है? क्या इसलिए कि इस सवाल के उठते ही पार्टी के अतीत में हुए विवाद, जैसे कि मुजफ्फरनगर दंगे, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं की छाया, राम मंदिर आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, और कई भ्रष्टाचार के मामले फिर से सामने आ जाएंगे? उन्होंने कहा कि ये सारे मुद्दे समाजवादी पार्टी के DNA का हिस्सा हैं और इन्हें छुपाना संभव नहीं।

ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए कहा कि अगर वे अपने विभाग की स्थिति देखना चाहते हैं तो जनता दर्शन कार्यक्रम में आएं। उन्होंने कहा कि वे रोजाना सैकड़ों लोगों से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी की कथित ‘एंबुलेंस सेवा’ का भी जिक्र किया, जिस पर पार्टी के अपने मंत्री भी आलोचना करते थे।

अपने पोस्ट के अंत में ब्रजेश पाठक ने दोबारा कहा कि DNA का मतलब पार्टी के राजनीतिक इतिहास और उसके कार्यों से है। उन्होंने साफ किया कि यह सवाल इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए पार्टी के वास्तविक चेहरे को समझा जा सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर अखिलेश यादव को DNA को लेकर कोई और शंका हो, तो वे निःसंकोच पूछ सकते हैं और वे अपने भ्रम दूर करने के लिए तैयार हैं।

इस तरह, DNA को लेकर दोनों पार्टियों के बीच जारी विवाद ने राजनीति में एक नया रुख ले लिया है, जहां आरोप-प्रत्यारोप और कटाक्षों के बीच सियासत गरमा गई है।

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