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Sunday, November 2, 2025
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    महिला सिपाहियों के प्रेग्नेंसी टेस्ट के आदेश से मचा बवाल, डीआईजी रोहित पी. कनय हटाए गए

    Gorakhpur PTS controversy: Gorakhpur के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में उस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब अविवाहित महिला रिक्रूटों से प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने का आदेश सामने आया। इस विवादित आदेश के चलते डीआईजी और पीटीएस के प्रधानाचार्य रोहित पी. कनय को हटाकर उन्हें लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में प्रतीक्षारत कर दिया गया है। साथ ही कमांडेंट आनंद कुमार और आरटीसी प्रभारी संजय राय को निलंबित कर दिया गया।

    यह पूरा मामला तब चर्चा में आया जब महिला रिक्रूटों को ट्रेनिंग से पहले अनिवार्य रूप से गर्भावस्था परीक्षण कराने के लिए मजबूर किया गया। आदेश से आक्रोशित रिक्रूटों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें 600 से अधिक महिला सिपाही सड़क पर उतर आईं। खाने की गुणवत्ता, बिजली-पानी की कमी जैसी पहले से मौजूद समस्याओं के बीच यह नया आदेश आग में घी डालने जैसा साबित हुआ।

    डीआईजी रोहित पी. कनय ने सीएमओ को पत्र भेजकर गर्भावस्था परीक्षण कराने का निर्देश दिया था। जैसे ही यह पत्र सार्वजनिक हुआ, सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में उबाल आ गया। विपक्षी दलों ने इस आदेश को महिला सिपाहियों की निजता का उल्लंघन बताते हुए सरकार पर हमला बोला।

    मामला गंभीर होता देख आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने तत्काल आदेश निरस्त करते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी अविवाहित महिला रिक्रूट से सिर्फ शपथ पत्र लिया जाएगा, मेडिकल टेस्ट नहीं होगा।

    इस पूरे विवाद में अफसरशाही की संवेदनहीनता एक बार फिर उजागर हुई है। खास बात यह है कि डीआईजी रोहित पी. कनय पहले भी 2018 के देवरिया शेल्टर होम यौन शोषण कांड में एसपी रहते निलंबित किए जा चुके हैं। उस मामले में भी उन पर लापरवाही का आरोप था और उन्हें पद से हटाया गया था।

    इस ताजा विवाद के बाद पीटीएस Gorakhpur में नई नियुक्तियां की गई हैं। अनिल कुमार को प्रधानाचार्य और निहारिका सिंह को पीएसी की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही प्रशिक्षण केंद्र में भोजन, पानी और बिजली की व्यवस्था सुधारने के निर्देश भी दिए गए हैं।

    फिलहाल रोहित पी. कनय प्रतीक्षारत हैं और उनकी अगली तैनाती को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह Gorakhpur मामला एक बार फिर प्रशासनिक निर्णयों की पारदर्शिता, संवेदनशीलता और महिला अधिकारियों की गरिमा पर व्यापक बहस को जन्म दे चुका है।

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