Kaushambi rape false case: कौशांबी जिले के लोहंदा गांव में राजनीतिक दुश्मनी की वजह से एक निर्दोष युवक को दुष्कर्म के झूठे आरोप में जेल भेज दिया गया, जिससे आहत होकर उसके पिता ने थाने में जहर खाकर आत्महत्या कर ली। यह सनसनीखेज मामला अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है, जब एसआईटी जांच में पूरे षड्यंत्र का खुलासा हुआ।
एसआईटी के सामने पीड़िता ने खुद स्वीकार किया कि उसके साथ कोई गलत हरकत नहीं हुई थी। उसने बताया कि वह अपनी मां के दबाव में आकर झूठा बयान देने को मजबूर हुई। यह साजिश ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रामबाबू तिवारी से पुरानी रंजिश के चलते रची थी। प्रधान ने Kaushambi पुलिस से सांठगांठ कर रामबाबू के बेटे सिद्धार्थ तिवारी के खिलाफ गांव की एक युवती से फर्जी दुष्कर्म की तहरीर दिलवाई।
पुलिस ने 28 मई को केस दर्ज कर 29 मई को सिद्धार्थ को जेल भेज दिया। इस फैसले से आहत रामबाबू ने लगातार बेटे की बेगुनाही की गुहार लगाई, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने सैनी कोतवाली में पुलिस के सामने ही जहर खाकर जान दे दी।
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में हंगामा हुआ और रामबाबू के बेटे अक्षय तिवारी ने ग्राम प्रधान, उसके भाई वीरेंद्र और तीन अन्य के खिलाफ जहर देकर हत्या करने का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि प्रधान समेत तीन आरोपी फरार हैं।
एसपी राजेश कुमार ने प्रधान भूप नारायण पाल की गिरफ्तारी के लिए ₹25,000 का इनाम घोषित किया है। पुलिस को उसकी लोकेशन हरियाणा में मिली है और वहां दबिश दी जा रही है।
जांच के दौरान सीओ सिराथू अवधेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट के आधार पर पथरावां चौकी प्रभारी आलोक राय और केस के विवेचक कृष्ण स्वरूप को निलंबित कर दिया गया है। वहीं सैनी कोतवाली के इंस्पेक्टर बृजेश करवरिया को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
एसआईटी जांच में सच सामने आने के बाद Kaushambi पुलिस ने दुष्कर्म और पास्को एक्ट की धाराएं हटाकर नया रिमांड दाखिल किया, जिसके आधार पर सिद्धार्थ को जमानत मिली और वह जेल से रिहा हो गया।
अब ग्रामीणों की मांग है कि प्रधान को जल्द गिरफ्तार कर न्याय की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।