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Mau सीट को लेकर क्यों अड़े हैं ओमप्रकाश राजभर? बृजेश सिंह की एंट्री से सियासत गरम

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Mau by-election: उत्तर प्रदेश की मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ गया है। अंसारी परिवार की इस परंपरागत सीट पर अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द होने के बाद उपचुनाव तय हो चुका है। इसी बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर इस सीट को लेकर अपनी पार्टी के अधिकार की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर यह सीट एनडीए में उनकी पार्टी को नहीं दी गई तो वे किसी भी कीमत पर यहां से अपना उम्मीदवार उतारेंगे।

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राजभर की जिद की एक वजह यह भी है कि 2017 में जब सुभासपा एनडीए के साथ थी, तब भी पार्टी ने इसी सीट से मुकाबला किया था। हालांकि उस समय पार्टी उम्मीदवार महेंद्र राजभर को मुख्तार अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2022 के चुनाव में सुभासपा समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में थी। उस चुनाव में सुभासपा के टिकट पर मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने बीजेपी उम्मीदवार अशोक सिंह को बड़े अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी।

अब जब अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द हो चुकी है, तो Mau सदर सीट फिर से खाली हो गई है। ओमप्रकाश राजभर इस सीट पर दो बार लड़ने का आधार बनाकर इसे अपने हिस्से की सीट मान रहे हैं। राजभर का दावा है कि चाहे एनडीए उन्हें टिकट दे या न दे, वे मऊ में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जरूर चुनाव मैदान में उतारेंगे।

इस बीच, एनडीए में मऊ से बृजेश सिंह के नाम की भी चर्चा जोरों पर है। बृजेश सिंह पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि बृजेश सिंह सुभासपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, ओमप्रकाश राजभर इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं। बृजेश सिंह के समर्थकों की स्थानीय स्तर पर बढ़ती सक्रियता इस बात को बल देती है कि वे मऊ सीट के मजबूत दावेदार हो सकते हैं।

Mau सीट का इतिहास भी दिलचस्प है। यह सीट मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है और यहां से बीजेपी कभी नहीं जीत सकी है। 1980 के बाद से इस सीट पर या तो वामपंथी या बसपा और बाद में अंसारी परिवार का ही दबदबा रहा है। अब देखना होगा कि क्या एनडीए राजभर की मांग मानता है या बृजेश सिंह पर दांव लगाता है।

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