Sambhal violence: सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क को संभल की शाही जामा मस्जिद में 24 नवंबर को हुए हिंसा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में एफआईआर को रद्द नहीं किया जाएगा और पुलिस जांच जारी रहेगी। हालांकि, सांसद की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, और पुलिस को उन्हें नोटिस जारी कर जांच में सहयोग के लिए बुलाने का आदेश दिया गया है।
सपा सांसद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की थी, जिस पर अदालत ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि जिन धाराओं में सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनके तहत सात साल से कम सजा का प्रावधान है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पुलिस सांसद से नोटिस जारी करके पूछताछ कर सकती है और उन्हें जांच में सहयोग करने की आवश्यकता होगी।
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने अपने वकीलों के माध्यम से यह दलील दी थी कि Sambhal violence के दिन वह संभल में मौजूद नहीं थे। उनके वकीलों इमरान उल्लाह और सैयद इकबाल अहमद ने कोर्ट में यह तर्क रखा कि सांसद पर लगे आरोप झूठे हैं। दूसरी ओर, यूपी सरकार की तरफ से शासकीय अधिवक्ता एके संड ने इस मामले पर अपना पक्ष रखा और बताया कि हिंसा के लिए भड़काने और सार्वजनिक शांति को नुकसान पहुंचाने के आरोप सांसद पर लगाए गए हैं।
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कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा कि अगर सांसद बर्क नोटिस मिलने पर जांच में सहयोग नहीं करते हैं, तो पुलिस उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश का पालन करने का निर्देश भी दिया गया।
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ 24 नवंबर को संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा Sambhal violence को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी। अब हाईकोर्ट के फैसले से सांसद को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा, और उनकी गिरफ्तारी का मामला पुलिस की जांच पर निर्भर करेगा।