Supreme Court on PFI: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी PFI को बड़ा झटका दिया है। याचिका में PFI ने बैन को चुनौती दी थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने PFI की याचिका को सुनने से ही इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला पहले हाईकोर्ट में जाना चाहिए।
दरअसल केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) पर देश विरोधी गतिविधियों के लिए UAPA के तहत एक गैर कानूनी संगठन करार दिया था और इस पर बैन लगाया था। इसके बाद PFI ने केंद्र के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने PFI की याचिका (Supreme Court on PFI) को सुनने से इनकार कर दिया।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि UAPA के तहत बन संगठनों के लिए ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ पहले हाई कोर्ट में याचिका फाइल करनी चाहिए। PFI की तरफ से एडवोकेट श्याम दीवान पेश हुए थे। उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच की सलाह पर सहमति जताई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने PFI की इस याचिका को खारिज कर दिया।
आपको बता दें कि PFI ने अपनी याचिका में UAPA ट्रिब्यूनल के उसे फैसले को चुनौती दी थी जिसमें केंद्र के फैसले पर मोहर लगाई गई थी आपको बता दे केंद्र सरकार ने फि और अन्य संगठनों पर 22 सितंबर 2022 को रोक लगा दी थी साई पर आरोप है कि उसके संबंध आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से हैं और विदेश में नफरत फैलाने का काम कर रहा था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 22 सितंबर 2022 को निएड और राज्यों की पुलिस ने कुल 15 राज्यों में ताबड़तोड़ छापेमारी और गिरफ्तारियां की। 28 सितंबर 2022 को 5 साल तक PFI पर बैन लगा दिया।
आपको बता दें कि PFI 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों से मिलकर बना एक संगठन है। इसमें केरल नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु की मनीता नीति पसराई शामिल है। PFI खुद को एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन कहता था। (Islamic political organisation)
PFI के कार्यकर्ताओं पर आतंकी संगठनों से कनेक्शन से लेकर हत्याओं तक के आरोप है। 2012 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट में बताया था कि हत्या की 27 मामलों से PFI सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। बता दें कि इनमें से ज्यादातर मामले RSS और CPM के कार्यकर्ताओं की हत्या से जुड़े थे। अप्रैल 2013 में केरल पुलिस ने कन्नूर के नराथ में छापेमारी की थी जिसमें PFI से जुड़े 21 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस छापेमारी में पुलिस ने दो देसी बम, एक तलवार बम बनाने का कच्चा सामान और कुछ पर्चे बरामद किए थे। हालांकि PFI की ओर से दावा किया गया था कि यह संगठन की छवि खराब करने के लिए किया गया है। बाद में इस मामले की जांच NIA को सौंप दी गई थी।